सफलता के दस वर्ष | Safalta Ke Das Varsh

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Book Image : सफलता के दस वर्ष  - Safalta Ke Das Varsh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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यह निरचयपू्वक कहा जा सकता है कि दोनों देशों के बीच मालों के कुछ विनिमय का परिणाम १९४५९ में श्रौर ज्यादा बढ गया है । ज. ज. ग. में भारतीय मालों की मांग वतेमान झ्रायात से अभी ही कई गुना अधिक बढ़ गयी है। ज. ज. ग. ने श्रपने यहां के राष्ट्रीय झ्र्थेतन्त्र को इस हद तक विकसित करने का निर्णय किया है जिससे कि मेहुनतकथ लोगों की मुख्य खाद्य सामग्री और उपभोक्ता मालों की फी व्यक्ति खपत कई देशों से आगे बढ़ जायेगी । फलस्वरूप ज. ज. ग. में भ्रायात की संभावना और बढ़ जायगी । इनके अलावा, १९६१ तक आबादी के लिए कॉफी की सप्लाई तिगूनी और काजू तथा अन्य सभी ग्रीप्सकालीन फलों की सप्लाई दुगुनी हो जायेगी । ज. ज. ग. में कुषि के विकास के फलस्वरूप वानस्पतिक श्रौर पु के दुग्धीय खाद्य पदार्थों की आवश्यकता बढ़ जायेगी और इससे सभी तरह की तेलीय खलियों, आदि के आयात की संभावना वहां काफी बढ जायेगी । ज. ज. ग. में श्रौद्योगिक और क्पि उत्पादन के दिनो-दिन बढ़ते जाने के कारण पैकिंग के लिए जूट के वोरों शभ्रौर रेशों की जरूरत बढ़ती जायेगी । अत: भारत से उनकी खरीद के भी बढ़ने की संभावना है । इसी तरह कपड़ा उद्योग में जटा-जूट भ्रौर उनके उत्पादनों, चमड़े, खालों, ओर पशुओं के रोओं तथा रसायन उद्योग में तैठीय तत्वों, रड़ी के तेल, चमड़ा आदि के श्रायात की बड़ी सम्भावनाए हैं । यदि भारत इन चीजों को बड़ी सात्रा में देता है, तो इसके <८दले में वह अपने राष्ट्रीय उद्योगों के विकार के लिए ज. ज. ग. से बड़ परिमाण में आव- दयक माल मंगा सकता है । उदाहरण के छिए, ज. ज. ग, के मशीनी श्रौजारों के प्राविधिक स्तर की धाक दुनिया भर में छायी हुई है । जेस्स-जेना के भाप्टिकल उत्पादनों के यथातथ विद्व प्रसिद्ध हैं और वंज्ञानिकों के क्षेत्र में उसे बहुत पसन्द किया जाता है । आगफा के फिल्‍म प्रसाधन, रसायन, पोलिग्राफिक मद्ीनें, भारी मशीनें और टेक्सटाइल मशीनें, प्रयोगशालाओं के लिए जेना के शीशे, विद्युत औजार श्रौर मशीनें--ज. ज. ग. से निर्यात होने वाले मालों की लम्बी सुची में से ये केवल कुछ नाम हैं । भारत को इन मालों में दिलचस्पी हो सकती है और इसमें सन्देह नहीं कि इन्हें अपने यहां मंगा कर भारत दोनों देशों के बीच व्यापार को उपयोगी रूप में बहुत बढ़ा सकता है । ऐसे व्यापार से दोनों देशों का पारस्परिक आर्थिक लाभ होता है, दोनों देदों की जनता के बीच सद्भाव बढ़ता है और शांति की हिफाजत में कारगर सहायता मिलती है । रद




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