कम्युनिस्ट और युवा | Comunist Aur Yuva

लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
192
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)एक से चर्गे-दित द लक्ष्य, ये सब 'ऋतिकारी आंदौलन में श्रमिक युवाओं के नेतृत्व-
कारी स्थान प्रदान करते हैं। लेनिन ने धमरत युवाओं की क्रांतिकारी गतिविधि
को समूचे सर्वेहारा आंदोलन का एक सूते रूप व उसका एक भोग मेबना । और
क्रांतिकारी पार्टी को प्रमुख रूप से श्रमरत युवाओं की भर्ती के द्वारा स्वयं को मज़-
बूत बनाने का उनके आद्वान के सबल कारण भी हैं, दयोकि पहू “अग्रणी वर्ग के
युबाओ की पार्टी” होमी ।
लेतिन थे झमरत युवा इपको पर बहुत अधिक ध्यान दिया, जिन्हे उन्होंने
श्रमरत किसानों का एक अंग माना, और परिधामत: क्रातिकारी संघर्ष में श्रमिक
वर्ग के धनिष्ठतम मित्र के रूप में लिया । अपने लेख “कृषि कायें मे बालश्रम' में
लेनिन मे जर्मनी व आस्ट्रया में कृषि कार्य में लगे बच्चो व किशोरों की कठोर
परिस्थितियों का एक दिस्तुत अध्ययन प्रस्तुत किया, भौर इस आधार पर यह
भह्रदपूर्ण निष्कर्ष निकाला कि ्मरत कृषकों व उनकी युदा पीढ़ी के लिए “'वेत्तन-
मज़द्रों के दर्ग-संघर्ष में शामिल होने के अलावा अन्य कोई मुक्ति का भागे मही
हे
लेनिन ने रूसी किसानों के मध्य हो रही प्रक्रियाओ पर पूरी नजर रखी ।
युवा स्विस समाजवादियों को दिए एक भाषण मे लेनिन मे कहा कि वे यह देखकर
खुश हूँ कि “रूसी गाँदी में एक नए प्रकार का किसात-वर्गीद बेतना बाला युवा
किसान दिखाई दे रहा है”, जो शहरों में ऋरतिकारी आदोलन में स्तगे व्यक्तियों से
मिलता है, अख़बार पढ़ता है, अपने गाँव मे आंदोलनात्मक काम करता है और
बड़े जमीदारो, पादरियों व कारशाही अधिकारियों के विरुद्ध संघर्ष का आह्वान
करने वाले बोल्शेविक नारों की व्याध्या करता है। लेनिन का विश्वास था कि
ग्रामीण युवाओं में श्रेष्ठ जनों के द्वारा की गयी यह गतिविधि कृपक समुदाय को
क्रांदिकारी आंदोलन में धीरे-धीरे धीच लाने में मदद करती है 1१
'थमरतत युवाओं की क्रातिबारी क्षपता के माउसंवादी विश्लेषण का लाधार
उनके सामाजिक-आधिक, कानूनी व 'राजनीतिक स्तर का विस्तृत व गम्भीर
अध्ययन है । यद्यपि श्रमरत युवा का शोषण ऋूरता के साथ होता था फिर भी
साक्सेवाद के संस्थापकों ने विराट पैमाने में पूंजीवादी उत्पादन में उनके जुड़े रहने
1. बी ०आई० लेसिने, 'द क्राइसिस ऑफ मैन्शेविरम”, कलंक्टेड दकसें, जित्द 11,
शोमरेस पब्लिश्स, मास्को, 1972, पुन 355
2. दी० आई० लेनिन, “चाइस्ड लेदर इन पीजिन्ट फामिय', कलेकटेड यर्क्स,
जिल्द 19, प्रोग्रेस पश्लिशर्स, मास्को 1973, पु० 212
3. देखें : वी० आाई० लेनिन, 'लेस्चर ऑन द 1905 रिवोल्यूशन', बलेषटेड
ब्स, जिल्द 23, पृ० 243
User Reviews
No Reviews | Add Yours...