धवलासार | Dhavalasaar
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
324
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(१६) शंका - वक्तव्यता कितने प्रकार की है?
समाधान - तीन प्रकार की है - स्वसमयवक्तव्यता, परसमयवक्तव्यता और
तदुभयवक्तव्यता । - पृष्ठ ८३
(१७) शंका - श्रुतप्रमाण को किस वक्तव्यता रूप जानना चाहिए ?
समाधान - श्रुतग्रमाण को तदुभयवक्तव्यता रूप जानना चाहिये । - पृष्ठ ६७
(१८) शंका - अर्थाधिकार कितने प्रकार के है ?
समाधान - अर्थाधिकार दो प्रकार के है - अगवाह्म और अगप्रविष्ट ।
(१६) शंका - अंगबाहा के चौदह अर्थाधिकारो के नाम कौन - कौन से है ?
समाधान - वे इस प्रकार है - सामायिक, चतुर्विशतिस्तव, वन्दना, प्रतिक्रमण,
वैनयिक, कृतिकर्म, दशवैकालिक, उत्तराध्ययन, कल्पव्यवहार, कल्पाकल्प,
महाकल्प, पुण्डरीक, महापुण्डरीक और निषिद्धिका । - पृष्ठ ६७
(२०) शंका - अंगप्रविष्ट के बारह अथाधिकारो के नाम क्या है ?
समाधान- आचाराग, सूत्रकृतताम, स्थानाग, समवायाग, व्याख्याप्रज्ञप्ति,
नाधधर्मकथा, उपासकाध्ययन, अत कृद्दशाग, अनुत्तरौपपादिकदशाग,
प्रश्नव्याकरणाग, विपाकसूत्राग और दृष्टिवादाग । - पृष्ठ१००
(२१) शंका - मार्गणा किसे कहते है ?
समाधान - सत्, सख्या, आदि अनुयोगद्वारो से युक्त चौदह जीवसमास जिसमे
या जिसके द्वारा खोजे जाते है, उसे मार्गणा कहते है । - पृष्ठ १३२
(२२) शंका - यह चैतन्य कया वस्तु है ?
समाधान - त्रिकालविषयक अनन्तपर्याय रूप जीव के स्वरूप का अपने क्षयोपशम
के अनुसार जो सवेदन होता है, उसे चैतन्य कहते है । - पृष्ठ १४६
(२३) शंका - लेश्या किसे कहते है ?
समाधान - “लिम्पतीति लेश्या” जो लिम्पन करती है, उसे लेश्या कहते
है | अर्थात् जो कर्मों से आत्मा को लिप्त करती है, उसको लेश्या
कहते है । - पृष्ठ १५०
घवलासार - ७
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