धवलासार | Dhavalasaar

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Dhavalasaar by विमला जैन - Vimala Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(१६) शंका - वक्तव्यता कितने प्रकार की है? समाधान - तीन प्रकार की है - स्वसमयवक्तव्यता, परसमयवक्तव्यता और तदुभयवक्तव्यता । - पृष्ठ ८३ (१७) शंका - श्रुतप्रमाण को किस वक्तव्यता रूप जानना चाहिए ? समाधान - श्रुतग्रमाण को तदुभयवक्तव्यता रूप जानना चाहिये । - पृष्ठ ६७ (१८) शंका - अर्थाधिकार कितने प्रकार के है ? समाधान - अर्थाधिकार दो प्रकार के है - अगवाह्म और अगप्रविष्ट । (१६) शंका - अंगबाहा के चौदह अर्थाधिकारो के नाम कौन - कौन से है ? समाधान - वे इस प्रकार है - सामायिक, चतुर्विशतिस्तव, वन्दना, प्रतिक्रमण, वैनयिक, कृतिकर्म, दशवैकालिक, उत्तराध्ययन, कल्पव्यवहार, कल्पाकल्प, महाकल्प, पुण्डरीक, महापुण्डरीक और निषिद्धिका । - पृष्ठ ६७ (२०) शंका - अंगप्रविष्ट के बारह अथाधिकारो के नाम क्या है ? समाधान- आचाराग, सूत्रकृतताम, स्थानाग, समवायाग, व्याख्याप्रज्ञप्ति, नाधधर्मकथा, उपासकाध्ययन, अत कृद्दशाग, अनुत्तरौपपादिकदशाग, प्रश्नव्याकरणाग, विपाकसूत्राग और दृष्टिवादाग । - पृष्ठ१०० (२१) शंका - मार्गणा किसे कहते है ? समाधान - सत्‌, सख्या, आदि अनुयोगद्वारो से युक्त चौदह जीवसमास जिसमे या जिसके द्वारा खोजे जाते है, उसे मार्गणा कहते है । - पृष्ठ १३२ (२२) शंका - यह चैतन्य कया वस्तु है ? समाधान - त्रिकालविषयक अनन्तपर्याय रूप जीव के स्वरूप का अपने क्षयोपशम के अनुसार जो सवेदन होता है, उसे चैतन्य कहते है । - पृष्ठ १४६ (२३) शंका - लेश्या किसे कहते है ? समाधान - “लिम्पतीति लेश्या” जो लिम्पन करती है, उसे लेश्या कहते है | अर्थात्‌ जो कर्मों से आत्मा को लिप्त करती है, उसको लेश्या कहते है । - पृष्ठ १५० घवलासार - ७




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