तराज़ू | Taraaju
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
19 MB
कुल पष्ठ :
335
श्रेणी :
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उदयनारायण तिवारी - Udaynarayan Tiwari
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रामरख सिंह सहगल - Ramrakh Singh Sahagal
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ग्यारह ))
की है । पड़ोस में रहने से एक का दूसरे पर गम्भीर एवं . स्थायी प्रभाव
पड़ता है । परन्ठ यात्रा का प्रभाव क्षणिक रहता है श्र केवल यदा-
कदा ही गम्भीर हो सकता है । झतएव जैसे लोग पड़ोसी के साथ
रहना चाहेगे, वैसे ही उपन्यास पढ़ने में लगे रहेंगे और जैसे यात्री
एक निश्चित श्रवरधि के पश्चात उठ कर चल देंगे, वैसे ही वे एक
कहानी पढ़कर निश्चिन्त हो जायेंगे ।
नह नह नह
अमेरिका के सुप्रसिद्ध विद्वान् और कहानी-कला के ममंज्ञ, एगार
एलेन पो (छित6? 1167 2?ि06) का कथन है कि कहानी एक प्रकार
का बर्णत्मिक गद्य है जिसके पढ़ने में झाध घंटे से लेकर एक घंटे तक का
समय लगता है । इसी बात को दम इस प्रकार भी कह सकते हैं कि कहानी
वह कथा है जो बिना उकताये हुए एक ही बार बैठ कर पढ़ी जा सके ।
उपयुक्त कथन से केवल एक ही बात स्पष्ट होती है । बह यह कि
कहानी इतनी दीघकाय न होनी चाहिये कि घंटे-श्राध-घटे का पाठक
भी ऊब उठे । परन्ठु इस कथन से श्राधनिक कहानी की अन्य विशेष-
ताशओं पर प्रकाश नहीं पड़ता । यदि किसी उपन्यास को सक्षिप्त कर
दिया जाय, तो क्या उस उपन्यास का बह संक्षितत रूप कहानी हो
जायगा ! उपन्यास भी छोटे छोटे होते हैं श्रौर कहानियों भी बड़ी-बड़ी
होती हैं । यदि उपन्यास श्र कहानी को यही कसौटी सभव हो तब ऐसे
अनेक उपन्यासो का उदाहरण उपस्थित किया जा सकता है,
जिनका शझ्राकार बड़ी कहानियों के समान हो जाता है । शरत बाबू की
एक कहानी है, “विन्दोर छेले” । काफ़ी बड़ी कहानी है । श्रौर उन्ही
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