एस्पेक्ट्स ऑफ़ इकोनॉमिकहिस्ट्री ऑफ़ ईस्टर्न उत्तर प्रदेश इन 18th सेंचुरी | Aspects Of Economic History Of Eastern U.p. In Eighteenth Century

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Aspects Of Economic History Of Eastern U.p. In Eighteenth Century by अनु श्रीवास्तव - Annu Shriwastav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उसने उस पर एक झगडा आरोपित किया। १७८० के लगभग उसने चेतसिह से २००० घुडसवार सेना की आपूर्ति करने को कहा। चेतसिह ने स्वाभाविक रूप से असीमित माॉँगो के विरुद्ध प्रतिवाद किया। यही हैस्टिग्स चाहता था। मैकाले के शब्दों मे उसकी योजना यह थी कि अधिक से अधिक तब तक माँगा जाय जब तक कि (राजा) उसका विरोध न करे। फिर उसके प्रतिवाद को अपराध मानकर उसकी सारी सम्पत्ति को लेकर उसे दडित किया जाय। अत अब अवसर आ चुका था। इसलिए उसने योजना को पूर्ण करने के लिए बनारस आने का निर्णय लिया। इससे चेतसिह स्वय को शकक्‍्तिहीन समझने लगा और वह गर्वनर जनरल के स्वागत के लिए ६० मील दूर गया और व्यक्तिगत घूस के रूप मे २ १८२ लाख रु० तथा कम्पनी को अर्थ दण्ड के रूप मे २२ लाख रुपये देने के लिए कहा किन्तु कुछ परिणाम न निकल सका। हैस्टिग्स दयाहीन था |? उसने ५० लाख की मॉग की। हैस्टिग्स जुलाई १७८१ मे बनारस आया और उसने कबीर चौरा स्थित माधोबाग को अपना मुख्यालय बनाया तथा चेतसिह से उसके आचरण के लिए स्पष्टीकरण मागा। चेतसिह ने स्वाभाविक रूप से अपने ऊपर लगाये गये आरोपों से बचने की चेष्टा की। हैस्टिग्स ने चेतसिह के उत्तरो को आधार रहित बताया और चेतसिह को बन्दी बनाने का आदेश दे दिया। चेतसिह शिवाला किले मे रहता था और दो कम्पनियों उसे बन्दी बनाने के लिए गई थी। उन्होने बिना किसी प्रतिरोध के अपना उद्देश्य पूरा कर लिया। किन्तु जब चेतसिह की गिरफ्तारी की सूचना रामनगर मे उसकी सेनाओ को मिली तो सिर िीीीशीगएएट 19. वही पृष्ठ -५२




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