वृत्तिप्रभाकर | Vrattiprabhakar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
28 MB
कुल पष्ठ :
468
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अनुक्रमणिका । (१९१)
प्रसंगांक, विषय. पू्णीक, | प्रसंगांक, विपय, पुर्घंक.
७९ उमयमतके अंगीकारघूवेफ भद्वेत- ८३ उक्त अक्षेपका निश्चल्दासोक्त
दीपिकोक्तसेतिकी समीचीनता. द३९,१ समाधान, .... « रै९,७
७३ रउज़ुसर्पादिकनकी सर्वेम्तामें तूठा- ८४ उत्त भाक्षेपका भन्यप्रंथकारोक्त-
ज्ञानदूंदी उपादानता. *« रे. समाधान... «« ९८
७६४ स्वप्तके अधिटान आत्माकों स्तरं- ८५ मतमेदस पांचप्रकारका प्रपंचके
का मदर हर सलालाद रतिदय २ सिसकादए पद,
की शुतिका अभिप्राय,..... ««. | तत्त्ुद्िकारकी रातिंसें प्रबंचके
७१५ स्वप्तमं इंद्रिय औ अतःकरणकुं कला प्राददम थक
ज्ञानकीं असाघनताकहिके स्वतः सना नव
अपरोक्षमात्मासै स्वप्तकी अपरोक्षता ३९३. | * ९ भन्यप्रंथकारनकी रौतिसें प्रपंचके
७६ दष्ट्सुष्टि और सुष्टिडष्ट वादका सत्यत्वका प्रतिक्षेप.. .... न» टै00
भेद इष्टिसष्रिवादमें सकल अना- ८७ न्यायपुघाकारकी रीतिसें प्रपंचके
त्माकी ज्ञातसत्ता ( साक्षीमास्यता) सत्यत्वका प्रतिक्षेप ...... ...... ”
कहिके दृष्रिस्टिपदके दो भव. ३९.३ ८८ अन्य भाचार्वकी रीतिसें प्रपंचके
७७ सृष्टिद््रवाद ( न्यवहारिकपक्ष ) सत्यत्वका प्रतिक्षेप, ...... «««. ४०१
का कथन, ,.... «««.. « रे ४ | ८९, संक्षेपदारीरककी रीतिसें प्रपंचके
७८ मिथ्याप्रयंघके मिथ्याल्में 'शैका कक जरिक «०. निव- मे
समाधान उक्त दोनं, पक्षविपे ९,० कर्मेकूं ज्ञानकी साधनताविषे विचार
दा मिथ्यात् धर्ममें मिथ्याप्रपंचकी निदृत्तिमें कर्मके
देतवादिनका आक्षेप. मन. री जी
७९, उक्त झाक्षेपका अद्देतदीपिकोक्त गदपक गदकरिक सर
समाधान, .... ......... ६९५ तके ढिविघसमुचयका निर्धार.... ४० २'
८० निस्याप्रपंचद मिव्याल घागें प्रका- ९१ भाष्यकारोक्तिकी साधनता .... ४०३,
रॉतरं देतवादिनका झयाक्षेप..... ३९६ | ** वाचस्पस्युक्त जिज्ञासाकी साथ-
८१ उक्त भाक्षेपके उक्तदी समाघानकी - नता .. »«.. ० न
' घटित्तता. ...... ....'. .... ३९७ | ९.९३ विवरणकारोक्तकर्मकूं. ज्ञानकी
८९ अद्देतदीपिकोक्त समाघानका स- साधनता ...... ..«««
. ताके भेद मानें तौ संभव भी एक... | ९४ धाचस्पति भौ विवरणकारके मत- .. .
सत्ता मानें तो भसंभब, .. .... ३९७ |... की विठक्षणतामें शंका... .... ४०४
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