संतान सुधार | Santaan Sudhaar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( २ ) समय को दोष देते हैं, पूरे तौर पर यह नहीं समभते कि बच्चे इश्वर की झमानत हैं और इनको सामाजिक व धार्मिक शिक्षा देना हमारा मुख्य धर्म है, यदि एक बाग को योंही छोड़ दिया जाय श्रौर उसकी निगरानो न की जाय तो बाग जंगल हो जायगा, उसको उपजाऊ बनाने के लिये.बराबर निगरानी करना ज़रूरो है । बच्चो के हृदय के वह बाग समसये जिसकी निग- रानी करने की ज़रूरत सब से ज्यादा है बड़े बड़े देखे गये हैं कि उनके बाग और खेत की रात दिन चिन्ता रहती है रोजाना खबर मंँगाते हैं, रखवाले रखते हैं, रुपया ख़र्च करते हें और समय निकाल कर रोज़ नहीं तो दूसरे तीसरे खुद भी देखने जाते हैं उन्हीं घरानें के बच्चो का यह हाल देखा है कि पिताजी या महा पिता जी के यह खबर नहीं कि उनके बच्चे सुबह से शाम तक क्या क्या करते हैं, भोजन के समय देर हुई तो माता ने याद किया, तलाश हुई बच्चे बुलाये गये भोजन करा दिया चलो छुट्टी हुई झब बच्चों के वुद्दी दरडा है और बुहदी मैदान । माताएँ पढ़ो लिखी नहीं कि उनकी शिक्ता की देख भाल कर सकें श्र ५िता जी के सांसारिक कार्यो से फुरसत नहों । को खयाल शया तो कुछ पूछ लिया श्र फिर काम घंघो में लगगये । जब बच्चों को ऊत्र १२। १४ वर्ष की हुई और देखा कि यह कंड के कंड रहे तो लगे तकदीर का दोष देने अब कहिये इस निगरानी के साथ बच्चे बिगड़ते नहीं तो क्या सुघरते ? बाग़ की निंगरानी हो, खेत की रखबाली की जाय, गाप मैसो को चराने चरवाहा ले जाय, और तुम्हारे कलेजे के छुकड़े व्प्रावारा फिर-माना कि वाग़ फल देता है, खेत से श्रनाज ता है, मबेशी दूध देती है या बिककर टकके परखाती है




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