विज्ञान - अप्रैल 1953 | Vigyan - April 1953

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Vigyan - April 1953 by विविध लेखक - Various Writers

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about विभिन्न लेखक - Various Authors

Add Infomation AboutVarious Authors

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
गणितीय र[०दमाल 1 डाक्टर बज मोहन, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय 1 पारिभाषिक शब्द अकेल नहीं चलत, अपने परिवारों के साथ चलन हैं। जो व्यक्ति पारिमापिक शब्दावज्ञी बनाना चाहत है उनके लिय यह आवश्यक हे कि प्रथक प्रथक शब्दों के पयाय न बनाकर पर पूर शब्द-परिवारों के पयाय एक साथ बनाया करें | कु ड़ पुस्तक-लघक इस वात पर ध्यान नहीं दते। व केवल उन्हीं शब्दों के पर्याय बना लेते हैं जिनका उनकी पुस्तक में उपयोग हो रहा हो । इस प्रकार पारिभाषिक शब्दावली के क्षत्र में कमी कभी बड़ी ्रान्ति फे्त जाती हैं । 'परिभाषा' का शब्द ही लीजिय ! इसका वास्तविक अथ हू 'पारिभापिक भाषा” अधवा विशेष प्रकार की भाषा! | अतः इस पुट० ० 1ठ02प8 2० का पयाय मानना चाहिए ! कदाचिन इतनी कारण कुछ लेखक इस [1 ाएण॥0 108 का पयाय मानने लगे हैं क्योंकि प'लातए0- 198 मी पठिटफाए लकी 1घ02प96 का दी एक अंग दे । दक्षिण लेखक वाडेकर ने एक मनोेज्ञानिक शच्दावला बनाया है जिसका नास रक्‍्खा है 'भारतांय मानप-शास्त्र परिभाषा” । उक्त नाम में परिभाषा का थे पे छतशतात 01095 हा है। परन्तु आधेकाश हिंन्दा लवक 'पारभावा” का फछिलीकाशिण के अथ से लिखते चले आये हैं । अतएव अब इसका यह अथ हटाया नहीं जा. सकता । यदि आरम्भ में हो इस शब्द-परिवार के समस्त शब्दों : 126श्िपिएए, पहला ०को ते णाछा 01 क्ा6, 1'टापतहाा010छुषए के पयोय बना लिये गये होते तो कदाचित्‌ प्राचीन लेखक ६०9०७) 1808ुप१86 के लिए परिभाषा” निधारित करते और एलीएफिक्ा के लिये व्याख्या अथवा कोई अन्य शब्द । अब वस्तु- 1 का1ए.घ26, स्थिति यह है कि परिभापा ८०7०] 1570 एपघ९6 आर 08ी.ंपरंणा दानों अथों में प्रयुक्त हाता हं रहेगा । एक अन्य शब्द-समूह सीजिए :-- (0 एफाक्िएय, औ ९टप्ापपाकषधिगा, और छु७५6, 28860 9886, . ऊिपचता6, एप 07, (:011605िं07 इन शब्दों में कइ शब्द एऐसे हैं जिनके शात्दिक अथ एक से हे परन्तु पाश्भाषिक अर्थों में महान अन्तर पड़ गया हें। साधारण भापा में भी पते] 6 ओर 00116007 के अंधों' में अन्तर है । परन्तु गणितीय विपयों में यह अन्तर बहुत बढ़ जाता है। इट्त प्रकार 2 28/०8५16 आए .0०पशाए कि में जो अन्तर साधारण भाषा में है उससे कहीं अधिक अन्तर गणितीय भाषा में है । में यहां एक उदाहरण आर लेतां हूँ। एक वाए म॑ एक लख लिख रहा था (जिसमें डिधिपि 0 पा धशडुध्ण। का अनुवाद करना था । मेंने इसका अजुवाद “स्थायी स्पर्शी” कर दिया । परन्तु कुछ समय पश्चात्‌ निम्नलिखित शब्दों के अनुवाद की आवश्य- कता आ पड़ी ।?-- +हापाधताला, जिधिए] 6 तव मुभे दिखलाई दिया कि “स्थायी” शब्द इन दोनों शब्दों के ज्िये अधिक उपयुक्त पर्याय होगा । अतएव 8:880787% के लिए पर्याय बदलना आवश्यक हो गया । एक मित्र के सुकाव पर मेंने इसके लिए “स्तव्घ” पयाय स्वीकार कर लिया। यदि आरम्भ में ही तीनों समानार्थी शब्दों के पयौय बना लिये होते तो अवश्य ही यह विश्वम बच जाता |




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now