हरिजन | Harijan

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Harijan by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भागा कहाँ ?' ्फ्र 'घीरे घीरें झाया |? क्यों आ्राया १” “मा की छुड़ाने आया था | क्‍यों, रसा को क्या हुआ था ?? 'दुन्नी उसे तंग कर रहा था, मैंने दुन्नी को मार दिया ।” रमेंश चुपचाप खड़ा हुआ उस मध्य-युग के वीर को देखता रहा जो श्रपने पढ़ने श्रादि की परवाह न करकें केवल श्रपनी नायिका-- (रमा मुहल्ते के बच्चों में सबसे सुन्दर थी श्ौर महेश के साथ सबसे झधिक रहती थी)-- को बचाने के लिये श्राथा था श्र बड़ी तृप्ति तथा गर्व के साथ श्रपनी बीरता का बखान करके प्रसन्न खड़ा था' मानों श्रपनी सुद्रा से कद रहा हूं ; 'उँह भाई जी | पढ़ना लिखना भी कोई श्रावश्यक ( उससे श्धिक श्राचश्यक तो रमा को बचाना था शरीर उसके पश्चात्‌ पार्तोपिक रूप में कुछ देर उसके साथ खेलना था |” रमेश मन ही मन हैँसा परन्तु प्रकट कहा, जी हाँ, खेलने का तो श्रापकों विचार भी नहीं होगा । ४ यह व्यंग मद्देश समझा या नहीं-- यह तो नहीं कहा जा सकता; हाँ खेलना शब्द सुनकर इतना श्रवश्य समझ गया कि भाई जी खेलने के दी सम्बन्ध में बिगढ़ रहे हैं श्रौर जो सफ़ाई उसने दी है वह ययेष्ट नहीं है । कुछ श्रौर मी कहना पड़ेगा श्रौर साथ में साच्ची मी दिलानी होगी । वह तुरन्त बोला, “नहीं माई जी सप्च, मैं स्वेलने नहीं झाथा था | दुननी इसे मारता था । यह चिल्ला रही थी-- क्यों रमा नूरों नहीं रही थी ? (उत्तर में रमा ने सिर हिला दिया) -- तब मैंने दुन्नी को पटक दिया श्रौर इसके साथ श्रा रहा था'””' '**? श्र इसके पश्चात्‌ उसने श्रपनी मुद्रा में यह प्रकट किया. “श्राप तो यों ही दुखी हो रहे हैं और मुक्त तो दुखी करते ही हैं। मला ऐसी क्या नल्दी पढ़ी थी झ्ापको आने की |? रोश के मुख पर यह प्रश्न झाते दते रह गया कि दुन्नी रमा को क्यों मारता थुष. क्योंकि बह जानता था कि इस प्रश्न का उत्तर संध्या से पहले समाप्त नहीं होगा क्योंकि उत्तर देने में मद्देश बाबू झापनी कल्पना से भी काम लेंगे, बीच में बहुत सी नदियाँ भी होंगी ही. जिन्हें रसा सुधारना चाहेगी श्र फिर इस बात पर दोनों में मंगड़ा चलेगा कि कौन ठीक कहता है-- यद्यपि श्रन्त में महेश बाबू दी जीतेंगे पक उनके पास सदा एक ब्रह्मास्त्र तेयार रहता था, “झच्छा अबकी बार पिरेगी सो नहीं बचाऊँ गा ।* यही सब सोच कर रमेश ने मन के प्रश्न को दबा कर कहा; “श्च्छा श्रन श्राप घर नवलिये |? हैक




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