जादू का मुल्क | Jadoo Ka Mulka
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
120.79 MB
कुल पष्ठ :
327
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१९.................. जादूका मुल्क
लग गया । प्रति सूयास्त को जूड़ी के मारे वह काँपने लगते थे।
अब बह कुनैन की टिकिया पर टिकिया निगलने पर बाध्य थे।
तथापि वह अपनी यात्रा से अत्यन्त प्रफुल्लित थे। इस यात्रा के
ब्यानन्द के उपभोग में नरेन्द्र, सत्यघ्रत से कम न थे।
अपने पथ-प्रदशंक के कहने पर अब उन्होंने कसई की प्रधान धारा
को छोड़ कर एक पतली बेनास की धार को पकड़ा । अब उनकी
यात्रा दुच्षिण की ओर हो रही थी । यह नदी थोड़े दिन की यात्रा
के बाद इतनी पतली हे। गई; जितनी कि हरदोई के जिले में गोमती ।
दोनों तटों पर वृक्ष और बड़ी बढ़ी बहुत घनी घासें . उगी हुई थीं |
किन्तु कहीं कहीं जंगल में कुछ दूर तक फॉक दिखाई देती थी । यह.
वह प्रदेश थे; जहाँ जंगल के रहनेवाले जन्तु पानी पीने आया
. करते थे । कर
सूयोस्त और सूर्योदय के समय वह इन स्थानों को देखते. रहते
थे; और उनकी इस प्रतीक्षा का फलस्वरूप एकाध फेर करने. को
मिल जाता था । इन्हीं समयों में उन्होंने एक गंडा
सत्य का पेर तो ज़मीन ही पर न पढ़ता था; जब
थे
थे
... चीता सारा
किन्तु यह यात्रा झाखेट-यात्रा न थी । उनके पास रसद भरी
पढ़ी थी । किन्तु अदेश कीड़े मच्छरों और गर्मी से अत्यन्त कष्ट-
.. दायक था । बीच बीच में घारा की तीर्णता उनके आांगे बढ़ने की
चाल को बहुत धीमी कर देती थी । एक बार उनके ऊपर मक्खियों
... के एक बढ़े गिरोह ने हमला किया । यह हमला सिफ़ इन्हीं दोनों .
: लने पर था, कृष्णांग हब्शी उनसे रक्षित रहे । कभी कभी उस नदी
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