भारती-भूषन | Bharti-Bhusan
श्रेणी : हिंदी / Hindi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
446
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रे
(७)
उ्यत भ्रंथों की इस्तलिखित प्रतियों फो पफ स्थान पर एकनित
उर्ले एवं महत्वपूर्ण भ्ंधों फे प्रकाशन फा कार्य 'ारंभ फर दें ।
'पन्ुमान तो यद किया जाता है कि इस समय जितने ग्रंथों फा
पता है उसके दुशुने घ्रंथ उपेक्ता और श्रसावधानी फे फास्ण नए
दो द्युके हैं। इस समय के फुछ फाव्यशाख्र फे विद्वानों फा
फहना है कि इन ग्रंथों फे पफचित करने में जो परिश्रम छर
ख्यय होगा उससे हिंदी-साहित्य का उपेक्षाकत उपकार फम
शोगा क्योंकि पक सो इन ग्रंथों में मौलिस्ता घचहुत कम है. दूसरे
विपय के श्रतिपादन में रचियो ने सामाजिक सदाचार फो उन्नति
की झोर झाप्रसर न करके उसकी निर्देयता-पूर्वक दस्या की है।
यदद झाक्षेप झलंकारों दे उदादरणों को प्रकट फरनेवाले छुंदों फे
थति है। लक्षणों के संयंध में भी इन विद्वानों का कहना है कि
रच्तण निर्धारित करने में दूदमदर्शिता का परिचय चदुनत कम
दिया गया है और श्रधिकतर लक्षण झपूर्ण, झ्ामक शोर झथुद
डू, यह भी कहा गया है कि यदि इन ग्रंथों फे सहारे कोई झलें-
कारों का शास्त्रीय शान पाप्त फरना चाहे तो उसे सर्वधा निसश
होना पड़ेगा। यदि ये सभी थाक्षेप टीफ़ दॉ--यद्यपि इनके
ठीक माने जाने में चुत कुछ संदेह हे--तो भी काव्य के
इतिहास में हमारे श्यायार्यों का मानखिक विकास कैसा था,
इसका पता तो ये ग्रंथ देंगे ही । पसी दूशा में इनका संरफण
झअनुपयुक्त नहीं कहा ज्ञासकता है । हिंदी फबिता के पुराने
्ाचाये विडान थे अथवा सूखे इसका निश्चय तभी हो सकता
है जब उनके रथ उपलब्ध हों । इतिद्दास का काम तो तथ्य का
समय के घ्जुस्तार वर्णन करना है, फिर चाहे वद्द दमारे छाजक
के विचार के झनुझूल हो शायवा प्रतिकूठ । हिंदी के जो पुराने
अछूकार-सर्वघी झ्थ मेरे देखने में श्राए हैं डनके पाठ से तो मेरा
ही
कै
हि
हि
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