आधुनिक काव्यधारा का सांस्कृतिक स्त्रोत | Aadhunik Kavyadhara Ka Sanskritik Strot
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
220
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पूर्वाभास
जानते थे कि सब कुछ अनिश्चित हैं। यदि आज सिर पर ताज
है तो कल तठ्वार । यदि आज का राजा कछ रादद का मिखारी
$. मुसीसे
बन जाय तो उन्हें कुछ आश्रय न होगा । इसीसे ये दरवारी
“यावत् जीवेत् सुख जोवेच” को मानते श्रे। इसीसे इन्होंने
मनमाना व्यय किया । इसीसे इन्होंने लूटा और लुटाया तथा
स्वयं छुद गए । सौंदर्य के स्वप्न देख गए और उनको सत्य
चनाया गया । इस कृत्रिम समाज का आदर्दा ही था साौंदियें
और प्रेम । मावलोक का सौंदय काव्य में मिला । कवि पुरस्कृत
हुए । नाद-सौंदर्य संगीत में ढूँढ़ा गया, संगीतकारों पर कंचन '
की चर्पी हुई । वर्ण-सौंदय की चित्रकला में खोज हुई, चित्रकार
की चारुता पर ददय विमुस्ध हुए । जद़-सॉदय निखरा वास्तु
कला में । दिलपी संमानित हुआ । छेकिन इस समाज के मादक
कि 1 ह नि $ स+ कप ५० संगी
को पूर्णता मिली नारी के सौंदय श्ीर प्रेम में । काव्य, संगीत
और चित्र तीनों इसके ऋणी हैं, नारी तत्काछीन सौंदय॑-मावन।
ह ष् शत
की चरम अभिव्यक्ति को पूण परिणति मान छी गई । सादयं
मयी नारी के लिये क्या नहीं किया इम समाज ने । युद्ध हुए
समाज के चंधन डिथिल कर दिए गए | सारी का जीवन, ना
कब 2» 0. ८+ और संगी ५७. लि
का प्रेम, नारी का सौंदयं चित्र, क्राव्य और संगीत में अंधि
हुआ 1 अभिसारिका के चित्र, नायिका-भेद, नलखदिख, छोर
बसंत के गीत और रागमाला के चित्र, इन . सबमें नारी
जीवन हो तो चर्णित-चित्रित है । समान में सौंदर्यपूर्ण नारी
मूल्य और महत्त्व था । सींदय से दीपित नारियों का झा
और समाज दोनों पर प्रभाव था, इनमें से कुछ में तो *
बाह्य सौंदयं था और कुछ में सौंदय के साथ प्रतिभा भी
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