सम्पूर्ण गांधी वाडयम | Sampurn Gandhi Vadyam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
31 MB
कुल पष्ठ :
476
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about मोहनदास करमचंद गांधी - Mohandas Karamchand Gandhi ( Mahatma Gandhi )
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नौ
जिम्मेदार वर्गने जातीय असहिष्णुता तथा अन्यायके ज्वारके विरुद्ध जो दृढ़
रुख अख्तियार किया उसके बारेमें स्थानीय पत्रोंसे काफी सामग्री उसमें उद्धृत
को गई है। प्राथनापत्रका अन्त जोरदार दलीलोंसे होता है कि नेटालवासी
भारतीयोंके प्रति सरकारी नीतिपर फिरसे बुनियादी रूपमें विचार किया जाये,
ब्रिटिश साम्राज्यमें भारतीयोंका दरजा क्या है इस सम्बन्धमें नई घोषणा की
जाये और नेंटाल-सरकार द्वारा प्रस्तावित भारतीय-विरोधी कान्नोंको वापस
लिया जाये ।
भारतीयोंको दक्षिग आफ्रिकामें जो-कुछ भोगना पड़ रहा था उससे ब्रिटिश
न्यायके प्रति गांधीजीकी आस्थापर अबतक आँच नहीं आई थी। इसलिए
रानी विक्टोरियाके प्रति भारतीयोंकि हृदयोंमें निष्ठा और भक्तिकी जो भावना
श्री उसे व्यक्त करनेके लिए गांधीजीने रानीकी हीरक-जयन्तीके अवसरका
उपयोग किया । सम्राज्ञीके नाम चाँदीकी ढालपर खुदवाये गये अभिनन्दनपत्र
और उसपर गाधीजी-सहित इक्कीस व्यक्तियोंके हस्ताक्षरों और अन्य सम्बद्ध
कागज-पत्रोंसे माछूम होता है कि शुरू-शुरूके उस काछमें ब्रिटिश साश्राज्यके
प्रति गाधीजीका रुख क्या था।
सन् १८९६-४७ के भीषण भारतीय अकालके समाचारों और सहायता-
निधिके संगठनकें कारण गांधीजीकों अपनी प्रवृत्तियोंकी दिशा अस्थायी रूपसे
बदल कर उस मानववमंकी पुकारको साथेक करनेमें लग जाना पड़ा । वे अपनी
स्वाभाविक निष्ठासे चन्दा जुटानेके कायेंमें डूब गये । उन्होंने नेटाल और ट्रान्स-
वाठके ब्रिटिदा नागरिकोंके और धर्मोपदेशकोंके नाम जो अपीलें निकाली थीं,
और सारे दक्षिण आफ्रिकाके भारतीय समाजको जो परिपत्र भेजा था, वे
सब भी इस ख़ण्डमें दी हुई अन्य सामग्रीमें सम्मिलित है ।
ड्न बन्दरगाहपर गांधीजीके विरुद्ध प्रदर्शन संगठित करनेवालोंको वचन
दिया गया था कि सरकार भारतीयग्रोंके नेटालमें प्रवेश करने, व्यापार करने
और वस जानेकें विरुद्ध प्रतिबन्धात्मक कानन बनानेका काम उठायेगी । इस
वचतका श्रिविथध फल निकला --संक्रामक रोग सुतक विधेयक (क्वारंटीन
बिल ), व्यापार परवाना विधेयक (ट्रेड लाइसेंसेज़ बिल) और प्रवासी
विधेयक (इमिग्रेगन बिल) के रूपमें। इन नये काननोंसे ब्रिटिश सा ख्राज्यके
नागरिकोंके नाते भारतीयोंका प्रत्येक अधिकार खतरेमें पड़ गया। गांधीजीने
विधेयकोंके विरुद्ध जोरदार आन्दोलन चलाया । जैसे-जैसे पाठक पुस्तकके
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