मैं इनसे मिला | Mai Inse Mila
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
262
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रोफेसर इन्द्र विद्यावाचस्पति
४ जून की वात है। दोफदर के ११ बजे होंगे । मैं दिल्ली के
विस्यात हिन्दी-अंग्रेजी -पुस्तकों के प्रकाशक, 'झास्माराम एण्ड संख
की दुकान पर बैठा था कि झचानक भाई श्री चामचन्द्र सुमन” ने
कहा --'इन्द्र जी आये हैं, चलो मिल लें ।”
मैं इस बार उनसे मिलने का निश्चय करके ही दिल्ली गया!
था | इसलिए मैं 'सुमन' जी के साथ दुकान के पीछे के हिस्से से,
जहाँ सुमनजी बैठने हैं, बाइर या । एक साढ़े पाँच फुट लम्बा,
दुबला-पतला, लगभग ६० वर्ष की उम्र का व्यक्ति जिसका सिर
नंगा, बदन पर खदर की धोती और छुता, तथा पैरों में चप्पल
थीं, आत्माराम एस्ड संस के हिन्दी-विभाग के श्रबन्धक श्री
भीमसेन जी से किसी पुम्तक के विपय में बात कर रहा था ।
उससे 'सुमन' जी ने मेरा परिचय कराते हुए वताया, “यही इन्द्र जी
हैं, जिनसे तुम इण्टरव्यू के लिए मिलना चाइते थे।”
मैंने उन्हें प्रशाम किया और अपनी “में इनसे मिला नामक
इण्टरव्यू की पुस्तक उन्हें मेंट करते हुए उनसे प्रार्थना की कि थे'
इर्टरव्यू के लिए कोई समय शऔर दिन निश्चित कर दें तथा
पुस्तक पर सम्मति भी दे दें। उस समय मेरा खयाल था कि वे
दोनों कार्मों के लिए शीघ्र तैयार दो जायँगे, लेकिन उन्होंने
ही
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