सबड़का | Sabadaka

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Sabadaka by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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01 संगरेशो में जिरा नें 'हदेच! बे, उणो मे हिर्दी में 'रेसा- खित्र', पर शाजरयानी में 'रेपादित्तर' कं । साहित में रेतावित्तर लिवणा धाद्टा ध्ापरे इपार पानी है जीवण रे बेई धंग रो वरणन उणी तरीशं यू करें जिया वितारों धापरें विवराम में घितारें । रेलावित्तर दो विसें कोई मो हो गर है। इणए में केई मिनख, सु्ाई, जिनादर, पंचेह, रूप, हबेची, गांव घयवां सर रो दरणन करपो जा शक है । रेताथित्तर में शर्रों सु टूसो वित्तर सांहयों जावे हो पदार ६ सामने, धाचते पारा. बरशित दिस री मूरती साबार हुनाई । लिखार ध्ापर चोइ-से वरणन में विसे रो धपो जबरों दरभाव ग्होंखे के धोने सहन ई विसरपों मं जावे । लिखार थावे वरगट ना करो, पण विसें खातर उण री सुबयोड़ी सहातुमूति मी चढारों में चथई हुए ई नाव । रेखाचितर रो दिस भरसली भी हू सकं, भ्रर बटपित भी हू सके । रेखाचित्तर-कार भापर विसे ने देवर चाव तो उण रो साज ई धरशन कर सके, धर चादे तो दो-च्यार धरस ठरर कर शर्ते है । रेखाचित्तर माइण में सफठ वो ही'ज लिखार हू सर्क जिशो झापरें च्यारू-मेर रो निदगाएी झांटयों उपाइ' देखें, जिको सूद




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