माधवाचार्यविरचित श्रीशंकरदिग्विजय महाकाव्य का समीक्षात्मक अध्ययन | Madhvacharyavirchit Shreeshankardigvijay Mahakavya Ka Samikshatmak Adhyyan

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Madhvacharyavirchit Shreeshankardigvijay Mahakavya Ka Samikshatmak Adhyyan by कृष्णा श्रीवास्तव - Krishna Srivastav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रा र के ,... कस हैं द पक ्रमसु० स्य कद, शान्तरर ठग मैं प्रसादगुणणन ३६८-३६६ इन अन्य प्रसर्डुण्यों में प्रा दमुण्य- ३६६ ,. ३ बौजौगुण- क- बौजौगुण का स्वरूप” ४०० ख- जौोजौगण की अभिव्यक्ति का दौंघ्न00० ब् ४०६ , गन ओजौगुण के व्यन्जक शब्द- ४०१ घन * श्रीशहु०कर दिग्विजय * मैं बौजौशुणणन ४० १४६० अ- शइ्ण्कराचाय के जौजस्वीरूप वर्णन मं औौजौगुण- ४०३-४०६ , आ- रौदर और वोररर के प्रसदुण्य में औौजौगुण की स्थिति- ४०६-४०७,, ह- बीमत्सरस के प्रसदूण्य मे औजीगुणन ४०७ ८... $- शान्तरस के प्रसडूण्ग में बौजौगुणन ४०८-४१७, ट ४- माघवगुण- कन छाधघवैगुण का स्वरूपन ४११०४ ६२, ख- माघयैगुण्ण की अमिव्यजि्ति का झौननन ४१२ ग- मा बुयगुण्ण के अभिव्यज्जक शब्द- ४४३३ ,. घन श्रोशडु०्कर दिग्विजय * में साधघयगुणण- ४१३-४१४ | _ दिवीय सण्ड- * श्रोशहुण्कर दिग्विजय * में काव्यदौण इन बवतारणा - ४४-४४ , रन * श्रीशदुण्कर- विश्विजय * मैं प्रयुक्त काव्य दौष्ण- ४६४ के




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