माला रोहण | Mala Rohan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
274
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अध्यात्म-दर्शन
प्यास वाद के कारण भारत-विश्व का गुरु माना जाता है,
अध्यात्मवाद की चर्चा सब संत महात्मा धर्म सम्प्रदाय करते हैं, पर
अध्यात्म दर्शन, विरलों को ही होता है। जैन धर्म में “सम्यग्दर्शन ज्ञान
चारिज्णि मोशमार्ग:' कहा है।
सम्यग्दर्शन कहो, अध्यात्मदर्शन कहो, परमात्मदर्शन कहो, स्वरूप
अनुभूति कहो, सब एक ही है, इसके होने पर ही अनादि मिथ्या दर्शन तथा
जन्म मरण का चक्र मिटता है। करणानुयोग में पांच लब्धि का विधान है,
द्रव्यानुयोग में भेदज्ञान पूर्वक शुद्धात्मानुभूति बताई है।
आज देश में धन वैभव के मूल्य बढ़ गए हैं, भौतिकता की चकाचौंध में
जीवन अस्त-व्यस्त हो रहा है, आध्यात्मिकता से शून्य हो रहा है। सादगी का
सौंदर्य, संघर्ष का हर्ष, समता का स्वाद और आस्था का आनंद यह सब हमारे
आचरण से पतझर की तरह झर गए हैं। आज समाज की सारी अशांति सारे
संक्लेश इसी वैचारिक पतझर का परिणाम हैं ।
जो लोग जीवन को बिना कोई दिशा दिए जीना चाहते हैं, वे अपने
आपको तो अर्थहीन बनाते ही हैं, समाज को भी हानिकारक परंपराओं की बेड़ी
बांध जाते हैं। यह जीवन, सृष्टि का सर्वो्कृष्ट वरदान है, इसे निरर्थक नहीं
बिताया जाना चाहिए। स्वहित और परहित के सोद्देश्य सार्थक बनाकर इसे
जीना चाहिए ।
इसी उद्देश्य को सामने रखकर श्री गुरु तारण तरण मंडलाचार्य जी
महाराज ने चौदह ग्रंथों की रचना की जिसमें जीव को अध्यात्म दृष्टि पूर्वक कैसे
जीना चाहिए, इसका सांगोपांग वर्णन है। उन्हीं ग्रंथों में से पहला ग्रंथ यह श्री
मालारोहण जी है, जिसकी अध्यात्म दर्शन टीका--आत्मनिषठ साधक पूज्य श्री
स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने की है। इसमें अध्यात्म दर्शन का सारा
विधि-विधान अपने चिंतन-साधना और प्रश्वोत्तर के माध्यम से किया गया है।
अध्यात्म दर्शन करने वाले मुमुक्नु जीवों के लिए यह रामबाण औषधि के रूप में
है। इसका स्वाध्याय चिंतन-मनन कर अपने जीवन को अध्यात्ममय बनाएं
इसी में मनुष्य भव की सार्थकता है।
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