पिछड़ी अर्थ व्यवस्था का विकास नियोजन , फूलपुर तहसील, आजमगढ़ (उ० प्र०) | Development Planning Of A Backward Economy A Case Study Of Phulpur Tasil District Azamgarh U.p
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
21 MB
कुल पष्ठ :
315
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अध्याय रक
विकास नियोजन : मैदट्वा नन्तक विवेचन
1. । प्रस्तावना
प्रत्येक राष्ट्र अपनी आवश्यकताओं, उपलब्ध संसाधनों, भी तिक
तास्कृत्तिक पिशिष्टताओं रवं राजनीतिक व्यवस्था के अनुसार अपने सर्वागीण
विकास के लिए प्रयत्नशील रहता है किन्त तभी प्रयापतों के बावजूद विश्व के
विभिन्न राष्ट्रों के विकास-स्तर में काफी असमानता पायी जाती है । शक
और जहाँ कुछेक राष्ट्र पूर्णलप से विकसित हैं, वहीं दूसरी ओर विश्व के अधिकाश
राष्ट्र विकाप्त की इस दौड़ में काफी पिछड़े हुए हैं । विकसित रव अविकसित
राष्ट्रों के मध्य असमानता का अन्तर इतना अधिक है कि यह प्रश्न विचा रणीय
हो जाता है कि कौन से ऐसे तथ्य हैं जी राष्द्रों या क्षेत्रों के अमान विकात के
लिए उत्तरदायी हैं । इन्हीं सन्दर्भों में विकाप्त एव नियों जित विकास की
सकल्पना की प्राप्तंगिकता उ भरकर सामने आने लगती है । क्षेत्रीय पिछड़ापन,
ग्रामीण-नगरीय असंतन, स मा जिक न्याय के सन्दर्भ में आय में विघमता, साधनों
के वितरण शव उपभोग में स्थानिक असतन आदि सभी समस्याएं सीधे विकास से
तम्बॉन्धित हैं । विकाप्त की इती आवश्यकता को ध्यान में रख्ते हुए स्मिथ' ने
इते विश्व की सब्से महत्त्वपूर्ण तमत्या माना है जितका निराकरण प्रत्येक अविक-
सित राष्ट्र, हनन, समाज व ठ्यीकत के लिए अपरिहार्य है । भारत जैसे विकास-
शील राष्प्र में क्षेत्रीय/स्था निक अतन्तुन की स्थिति लम्बी रेतह्हा सिक, सा मा जिक
एवं सास्कृत्तिक क्रिया प्रतिक्रियाओं के कारण और भी अधिक जटिल है । क्ष्त्रीय
पिछड़ेपन के निराकरण-हेतु आवश्यक है कि उन विशिष्ट समस्याओं रवं गह्तिरोधों
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