गांधी और मजदूर प्रवृत्ति | Gandhiji Or Majadur Pravrati

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Gandhiji Or Majadur Pravrati by शंकरलाल बैंकर- Shankarlal Bankarसोमेश्वर पुरोहित - Someshvar Purohit

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

शंकरलाल बैंकर- Shankarlal Bankar

No Information available about शंकरलाल बैंकर- Shankarlal Bankar

Add Infomation AboutShankarlal Bankar

सोमेश्वर पुरोहित - Someshvar Purohit

No Information available about सोमेश्वर पुरोहित - Someshvar Purohit

Add Infomation AboutSomeshvar Purohit

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
छ हों, उनका निराकरण शातिये हो जाय। इतना ही नहीं, जिस प्रकार की न्यामपूरणं और सबका हित सथनेवाली रामाज-रचनाके लिए मानव जाति आज तरस रही है, बसी समाज-रचनाका मागे भी सरल हो जाप गांधीजीके सिद्धान्त जिस प्रगर मजदूर जनताके लिए हिंतवारी है, चमी प्रहार वे उद्योगोंके सचाठकों और देशके लिए भी अत्यन्त हिंतशारी सिद्ध हो सड़ते हूं। सच्ची दूष्टिगे देखें ता! मजदूरों, उद्योगों और देशके हिठ अलग अलग नहीं हैँ। वे सब परस्पर जुड़े हुए हूं और आपसमें एक-ूमरे पर अवछवित हैं। इसीलिए तो गाधीजीने पारि- बार्कि भावनाका विकास करनेकी हिमायत की है। मालिक यदि मजदूरोंको अपने परिवारके आदमी मानकर उनकी सारी उचित जरू- रखें पुरी करें और ऐसी व्यवह्था करें जिसते सजदूरोंकों अपने कामकी अच्छी तताछोम मिछे और उनके शुगों तया शक्तिका प्रा विकास हो, तो वे मजदूरोंका प्रेस और विश्वास संपादन कर सकते हैं। इसके फल- स्वह् मजदूर भी अधिक मच्छा काम करेंगे, उद्योग समृद्ध बनेंगे तथा मजदूरों, मालिकों और देवको अधिक छोम होगा। माखतरी स्वतदता और स्व॒राज्यदी प्राप्तिके लिए गाधीजीने महिसक असइपीग तथा सत्या्रहकी जो लड़ाई चलाई थी, उसका उनकों जीवन-कयानें प्रमुख स्यान है। और, हमारे देशके तथा विंदेशोंके लग इस लड़ाईमे परिचित मी हूँ। आजके जमानेमें मंजदूरोके जीवन और उतते सम्बस्वित म्रश्नींने बड़े सहत्वका स्थान प्राप्त कर लिया है। इसलिए इस विवयमें गाधीजीने जो प्रयोग किये और उनके फलस्वरूप हमें जो सिंदान्त भर कार्यनीति प्राप्त हुई, उनसे देशकी जनताकों परिचित करनेको दृष्टिसि भी ये संस्मरण बहुत उपयोगी सिद्ध होंगे। गांपीजीके सागेदर्मनें सजदूर-प्रवृत्तिक सम्वन्ध्में जो कार्य हुआ, उसे आज वर्पोका समय बीत चुका है। इसलिए उस समयक प्रसंग और घटनाओंकी मेरी याद घुधछी पड़ गई है। इसके सिवा, आज मुझे जो कुछ याद हू उसे ययाये रूपमें प्रस्तुत करनेकी दाक्ति भी मुझमें नहीं हैं। फिर भी एंसे प्रत गोले सम्बन्धित तथ्योंके विपयमें 2 « जीका मद,




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now