आधुनिक यूरोप एवं एशिया का इतिहास | Adhunik Yurop Awam Eshia Ka Etihas
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
44 MB
कुल पष्ठ :
304
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आधुनिक युग का प्रारम्भ ! [हू
के अध्ययन तथा लोकप्रिय अन्धविश्वासों में विश्वास पर बल दिया जाता था ।
जन समूहों एव वर्गों के विवेक पर चर्च का अत्यधिक प्रभाव था । किसी को अपने
विचारों को व्यक्त करने की स्वतन्त्रता न थी । लेखक, कलाकार, वैज्ञा नक एवं
दार्शनिक चर्च से प्रेतरत उसी संकुचित विचारधारा के अनुयायी बने हुये थे । परन्तु
“्गय बिद्या' ((155508] 1६) के पुनरुद्दार ने अधकार युग के भावरण
को खींचकर पुनर्जागरगा काल का शुभारम्भ किया । पुनर्जागरण काल की सस्टूति
ने धर्म-निरपेक्षवाद, मावनवाद, उदारवाद तथा सर्वदेशीयता का प्रतिनिधित्व किया ।
शिक्षा, कला एव साहित्य भादि सभी क्षेत्रों सें इधर धर्म-निरपेक्षता की भावना स्पष्ट
दिखाई देने लगी । लोगों में प्रकृति के प्रति विशेष ६चि उत्पन्न होते के कारण उनसे
वैज्ञानिक हष्टिकोण का उदय हुआ । जिससे लोगो ने अब धम के सम्बन्ध में भो'
सोचना प्रारम्भ किया । विज्ञान के क्षेत्र से अनेक आविष्कारों में छापे खाते कह आवि-
ष्कार भी एक था । छापेखाने के आविष्कार के कारण पुस्तकें अब सस्ती बिकने लगीं
जिससे अब साधारण लोगों के लिए भी उन पस्तकों को खरीद कर पढ़ना सरल हो
गया । मध्य युग की भाँति शिक्षा केवल पुरोहित वर्ग तक हो सीमित न रही ! अब
यद्द सामान्य जनता के बीच भी पहुँचने लगी । इस प्रकार यूरोप के विभिन्न देशों
में यह नवोन जागुति पुस्तकों के माध्यम से पहुँच सकी । संक्षेप में, सांस्कृतिक जागे-
रण के फलस्वरूप लोगों में धर्म-निरपेक्षता तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास हुआ
जिसने धमं-सुधार आन्दोलन का मार्ग प्रशस्त क्रिया ।
लिलसफसलिलकककवफे... धन. जनरकेसमिकीी
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