आधुनिक यूरोप एवं एशिया का इतिहास | Adhunik Yurop Awam Eshia Ka Etihas

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Adhunik Yurop Awam Eshia Ka Etihas by निर्मल चन्द्र - Nirmal Chandra

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about निर्मल चन्द्र - Nirmal Chandra

Add Infomation AboutNirmal Chandra

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
आधुनिक युग का प्रारम्भ ! [हू के अध्ययन तथा लोकप्रिय अन्धविश्वासों में विश्वास पर बल दिया जाता था । जन समूहों एव वर्गों के विवेक पर चर्च का अत्यधिक प्रभाव था । किसी को अपने विचारों को व्यक्त करने की स्वतन्त्रता न थी । लेखक, कलाकार, वैज्ञा नक एवं दार्शनिक चर्च से प्रेतरत उसी संकुचित विचारधारा के अनुयायी बने हुये थे । परन्तु “्गय बिद्या' ((155508] 1६) के पुनरुद्दार ने अधकार युग के भावरण को खींचकर पुनर्जागरगा काल का शुभारम्भ किया । पुनर्जागरण काल की सस्टूति ने धर्म-निरपेक्षवाद, मावनवाद, उदारवाद तथा सर्वदेशीयता का प्रतिनिधित्व किया । शिक्षा, कला एव साहित्य भादि सभी क्षेत्रों सें इधर धर्म-निरपेक्षता की भावना स्पष्ट दिखाई देने लगी । लोगों में प्रकृति के प्रति विशेष ६चि उत्पन्न होते के कारण उनसे वैज्ञानिक हष्टिकोण का उदय हुआ । जिससे लोगो ने अब धम के सम्बन्ध में भो' सोचना प्रारम्भ किया । विज्ञान के क्षेत्र से अनेक आविष्कारों में छापे खाते कह आवि- ष्कार भी एक था । छापेखाने के आविष्कार के कारण पुस्तकें अब सस्ती बिकने लगीं जिससे अब साधारण लोगों के लिए भी उन पस्तकों को खरीद कर पढ़ना सरल हो गया । मध्य युग की भाँति शिक्षा केवल पुरोहित वर्ग तक हो सीमित न रही ! अब यद्द सामान्य जनता के बीच भी पहुँचने लगी । इस प्रकार यूरोप के विभिन्न देशों में यह नवोन जागुति पुस्तकों के माध्यम से पहुँच सकी । संक्षेप में, सांस्कृतिक जागे- रण के फलस्वरूप लोगों में धर्म-निरपेक्षता तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास हुआ जिसने धमं-सुधार आन्दोलन का मार्ग प्रशस्त क्रिया । लिलसफसलिलकककवफे... धन. जनरकेसमिकीी




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now