बृहत जर्राही प्रकाश भाग १ | Brihat Jarrahi Parkash Bhag 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
431
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(१)
चिकित्सा करने से आराम दो मी जाता है आर जो वरम की
स्याददी कंठ से नाँचे उतर आइ दोय तो रोग को असाष्य जा |
नो और फोडे का निशान ऊपर छिखे चित्र में देखठों इसकी '
चिकित्सा इस प्रकार से होती दे कि पाहिठे सरेरू की फरद
खोले और तीन छटांक रुपिर निकाले ओर फरद के पीछे वमन |.
कराना दित दे क्योंकि यह रोग दिल अर्थात् हृदय के समीप में
होता दे एपा न हो कि मवाद नीचे उतर आ्ांवे । वमन
औपाधि यह हें ।
# चनुसखा वमन कराने की के
सिरका 3० तोे, लाठ बूरा ९ तोे, मेंनफठ ६ माशे इन.
सबको दो सेर जठ भें ओटांवे जब लाधा जल बाकी रहजाय .
तब उतार कर रखले फिर इसको दो तथा तीन बार में पिलादे ''
तो वमन हो जायगी और उस दाने पर तथा उस स्याही एर |.
लेजाव ठगावें तथा प्ठास्टर रवसें जब छाढा पडजाय तों दूसरे
दिन ब्रातःकालठ काट डा फिर ऐसा मरहम ठगांवे कि जिस से
घांव न भर जावे और खूब मवाद निकठ जावे । वह मर
दम यू
छू नुखेसा मरहम ६६
|. तूतिया हारुनी 9 तोला; जंगाठ हरा १ तोले; तबकी
। द्रताठ ३ मादो, कच्चा सुहागा चोकियों १ तोले, बिरोजा
। तर ४ ताल, फिंटाकिरी ९ तोंठे, आंबाहलदी १ तोले इन
। सबको मठान पीसकर विरोजे में मिलावे. फिर उस में गोका
' 'इत ४ नाले यांढा ९ करके मिलावें फिर ब्रांडी शराब तथा
कस इन मरदम को खूब थोकर घाव पर ठगावे |
डी
User Reviews
No Reviews | Add Yours...