आधुनिक भारतीय अर्थव्यवस्था | Aadhunik Bharatiy Arth Vyavastha
श्रेणी : अर्थशास्त्र / Economics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
238
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)6. *. एससी गुप्ता
(4) अकुशलता तथा भ्रष्टाचार का वोलवाला
(5) आवश्यक प्रेरणा की कमी
(6) एक अस्त-व्यम्न अर्थव्यवस्था का सूचक
(7) अनर्स्टीय मघर्ष को बढावा
(8) निजी ठद्यमों की समाप्ति
(9) दीर्वकालीन नियोजन उपयुक्न नहीं
(10) लक्ष्यों की प्राप्ति न होने पर जनता में असतोप
(11) मितव्ययता का अभाव
(12) आवश्यक प्रेरणा की कमी
(13) लमसहयोग का अभाव
(14) लरचीलेपम का अभाव
115) राजनैतिक परिवर्तनों के साथ-साथ नियोजन में परिवर्तन का अभाव ।
'वाग्त में योजनावद्ध विकास की उपलब्धियां
सन् 1947 में भारत को स्वतन्त्रता प्राप्त हुई । इस समय तक भारत पर अग्रेजों का
शासन था तथा भारतोय अर्थव्यवस्था के विकास पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया था
दल अप्रेजों के ्वाय भारदीय अर्थव्यवस्था का अपने हिन में खुलकर शोपण किया
गया था । उस समय भारतीय अर्थव्यवस्या की स्थिति काफी अस्त व्यस्त थी, श्टीय
आय व 'एति व्यक्ति काफों कम थी आर्थिक विकास वी दर भी ब्यफो कम थी,गरीवी व
बेरोजगारी कौ सा्य्यायें उच्च स्तर पर विद्यमान थी । कृपि, उद्योग, व्यापार व यातायात
+त्यद फे।वकास पर भी ध्यान नहीं दिया गया था । भारत किसी भी दृष्टि से उस समय
आत्म निर्भर नहीं था । य समस्त समस्यायें भारतीय अर्थव्यवस्था में स्वतन्त्रता प्राप्ति के
समय विमान थीं । स्वतख्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत सरकार का ध्यान इस ओर गया
और भारत सरकार न नियोजित विकास के माध्यम से ही इन समस्याओं का समाघान
निकालने की सोची जिसके फलस्वरूप 1950 51 से भारन में प्रथम पंचवर्षीय योजना
मारम्म की गयी । भारत में अभी तक सात पंचवर्षीय याजनायें तथा अमिक वार्षिक
योजनायें पूरी हो चुकी हैं तदा वर्नमान में आठवीं पचवर्षीय योजना पर कार्य चल रहा है
जो 31 मार्च, 1997 को पूरी हो जावेगी । स्वतन्त्रता प्राप्ति से लेकर अभी तक पंचवर्षीय
योजनाओं के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था का जो विकास सभव हुआ है, उसका
विवेचन निम्न प्रकार है--
(1) आधिक विदाम की दर म वृद्धि-प्रत्यक देश को पंचवर्षीय योजनाओं का मुख्य
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