स्वर्ण धूलि | Swarn Dhooli

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Book Image : स्वर्ण धूलि  - Swarn Dhooli

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पति पत्नी का सदाचार भी नहीं मात्र परिणय से पावन, काम निरत यदि दंपति जीवन, भोग मात्र का परिणय साधन ! प्राणों के जीवन से ऊंचा है समाज का. जीवन निइचय, अंग लालसा में, सामाजिक सृजन शक्ति का होता अपचय ! 'पंकिल जीवन में पंकज सी शोभित आप देह से ऊपर, वही सत्य जो आप छुदय से, शेष शून्य जग का श्राडंबर ! “झत: स्वकीया या. परकींया जन समाज की है परिभाषा, काम मुक्त औ' प्रीति युक्त होगी मनुष्यता, सुकको आशा !'




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