स्वर्ण धूलि | Swarn Dhooli

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Swarn Dhooli by श्री सुमित्रानंदन पन्त - Sri Sumitranandan Pant

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about श्री सुमित्रानंदन पन्त - Sri Sumitranandan Pant

Add Infomation AboutSri Sumitranandan Pant

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
पति पत्नी का सदाचार भी नहीं मात्र परिणय से पावन, काम निरत यदि दंपति जीवन, भोग मात्र का परिणय साधन ! प्राणों के जीवन से ऊंचा है समाज का. जीवन निइचय, अंग लालसा में, सामाजिक सृजन शक्ति का होता अपचय ! 'पंकिल जीवन में पंकज सी शोभित आप देह से ऊपर, वही सत्य जो आप छुदय से, शेष शून्य जग का श्राडंबर ! “झत: स्वकीया या. परकींया जन समाज की है परिभाषा, काम मुक्त औ' प्रीति युक्त होगी मनुष्यता, सुकको आशा !'




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now