जैन शिक्षण पाठमाला | Jain Shikshn Pathmala
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
66
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(१३)
२७ मन, वचन और कायाकी शुद्ध परिणुति
रखना सो धम,
: पाठ ७्वां. गुरु भक्ति । ''
२ किसी भी जगह पर शुरु मिले दो खड़े
होकर वंदना करना.
२ गुरु चाहर गाँव स आते होवे उस स-
. मय चाहे जितना कार्य होवे छोड़ कर
सामने जाना, शोर विहार ' करे तब
पहुंचाने को जाना» ः
हे रास्ते में चलते हुए शुरु से छागे, जोड़े
में छोर बहुत करीब पीछे रदकर चले
ना या खड़े-रददना नदी अकिन्तु थोड़ा
अतर रख .कर पीछे ४ चलना.
४ शुरु वोखते होवे जव बीच में नहीं
बोलना:
गुरु घुलावे तो सर्पर खड़े होकर जबाब
देना पर सुनी अखणसुनी क्ररना नहीं.
६ गुरु के सामने कठोर और हुच्छ भाषा
में नहीं बोलना. ः
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