मनोरंजन पुस्तकमाला | Manoranjan Pustakamala

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Manoranjan Pustakamala by गुलाब राय - Gulab Raay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ७ ) युरोप में तक शास्त्र के जन्मदाता झरस्तू ( एरिस्टोटिल ) समझे जाते हैं। इन्हींने तक विद्या को विज्ञान का रूप दिया है। श्ररस्तू के पहले खुकरात ने झपने प्रश्न द्वारा लोगों की झल्पज्ञता प्रकट कर उनको शब्दों की निश्चित परिथाषा करना बतलाया था । सुकरात के समय में विवाद करनेवालों का एक दल वन गया था जो कि सोफिस्ट्स (30001508) के नाम से प्रख्यात था। चास्तव में सोफिस्ट लोग सत्य की खोज नहीं करते थे, घरन्‌ एक दूखरे को वाद में पराजित करना ही इनका मुख्य घर्म था । यह लोग चितंडा झौर जट्प का अधिक प्रयोग करते थे। इन लोगो के हाथ में ज्ञान की सीमा स्थिर हो गई थी । सुकरात ने झपने प्रश्नों द्वारा इन लोगों व्ही झाट्पज्ञ- ता प्रकट ररके लक्षणों द्वारा ठीक झथे निश्चित किए हुए शब्दों का प्रयोग करने की झावश्यकता वतलाई । यही से तक शास्र की नीव पड़ी । सोफिस्ट' लोगों का कार्य बिलकुल विप्फल न था । उनके वाद-विवादों के कारण यूनानी लोगों में विचार शक्ति उत्तेजित रही; श्रोर उन लोगों ने यूरोपीय शाख्री की जो नींव डाली, वह पक प्रकार से इसी चाद-विवाद का फल हे । विचारों और सिद्धान्तों को खुरक्षित रखने में न्याय शास्त्र ने भी जरप और घवितंडा की उपयोगिता मानी हे# | प्राचीन काल * तत्वाध्यवसाय सरक्षणार्थ जल्प चित्तटें वीज प्ररोद सरक्षणार्थ कटक झाखा चरणबत्‌ ॥ ४ । ? । ५० ॥ अयथांत जैसे बीजाकुर की रक्षा के लिये सब भोर से




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