जनता का शासन | Janta Ka Shasan

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Janta Ka Shasan by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तो था ही, महादुवीप की सेनाश्रों का सेनापति रहने के कारण उसे विविघ राज्यों के निवासियों श्रौर उनकी समस्यात्रीं का भी विस्तृत जान था ! बैजामिन फ्रैंकलिन विदुवान, वैज्ञानिक और योग्य नी तिज्ञ था । उसका बढ़ा प्रमाव था । वर्जीनिया के जेम्स मढीसन न्ययार्क के गवर्नर गुवनर मीर्सि और पेन्सिलवैनिया के जेम्स विल्सन मी प्रमाव शाली थे । न्युयार्क,उग्र और प्रतिमाशाती युवक रलेग्जेंडर हैमिल्टन बलवान केन्द्रीय शासन की वकालत मैं उत्कृष्ट वक्‍्तृत्वकला का प्रयोग कश्ता था 1 इन्होंने री बन्य प्रतिनिधियों ने श्रपने विचार अनेक सुत्रों से लिये थे । श्रनैक विचार बौर सिद्धान्त अ्लिखित बुटिश विधान से लिये गर थे । बोपनिवेशिक पत्रों :कालो नियल चार्ट्स: से भी मरपर सहीयता मिली थी । राज्यों के नागदिक इन चार्टरों से सुपरिचित थे तीर इनकी अनेक बातें उनकी अनुमति से ही लिसी गई थीं । स्वतन्त्रता का घोषणापत्र :डिक्लेशशन आव हन्डीपैडिंस: शासन के मल उद्देश्य अथीत जनता की सेवा श्रीर उसके मुल अधिकारों की रक्षा का श्रोफल न होने देने में बहुत सहायक रहा था । राज्यों के विधान ्रीर बार्टिक्ल्स आव कोनफैडरेशन भी , सहायक रहे । इससे शरीर दुद् नहीं तो पिक्वती मुलों -से बचने में तो सहायता मिली ही | इनके अतिरिक्त बहुत से प्रतिनिधियों के विचार, शासन के राजनी तिक स्वरूपों पर पहले से सुविकसित और स्सथिए हो चुके थे । अन्य देशों के राजनी तिक विचारों का भी प्रभाव पढ़ा ही । फैंचन, मौटस्कियु और इंग्लिश विचारक जौन लौक के लेखों से गुवनर मौ रस तथा अन्य प्रतिनिधियों का यह सुकाब मिला कि शासन के अधिकार तीन शाखाओं, कानून, शासन शोर न्याय, लेजिस्लेटिव,रुग्जी क्यटिव बोर जुड़ी शल, में विभक्त कर दिये जाने चाहियैं । ग्रीष्म ऋतु मैं चिरकाल तक गरमागरम विवाद के पश्चात गुवनर मोषप्सि का त्रिघान का अन्तिम ससविदा लिखने के लिये कहा. गया | श्र




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