श्री भागवत दर्शन भागवती कथा भाग - 58 | Shri Bhagwat Darshan Bhagavati Katha Bhag - 58

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Shri Bhagwat Darshan Bhagavati Katha Bhag - 58  by श्री प्रभुदत्त ब्रह्मचारी - Shri Prabhudutt Brahmachari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( हरे ) ारतीय सस्कृति के विरुद्ध ही क्‍यों न हो, उसे वद्द घलपूव॑ंक सबके सिर पर योपना चाहते हैं 1 तीर्बराज प्रयाग में मददाकुम्भ के पवित्र अवसर पर गौ-रक्षा से पक्तपात्तो सभी दलों तथा सज्जनों ने मिलकर एक, “गी-हत्या निरोध-समिति” बनायी, उसकी श्योर से सम्पूर्ण कुम्भ मेले में भो . रक्षा प्रचार किया गया, साहित्य वितरित हुआ, गो-प्रदर्शिनी हुईं, जौ-माता के लिये लाखों नर-नारियों ने उपवास किया, साधुश्रों को शाही के साथ सजी-प्लजायी गौएँ निकाली गयीं; शोभा यात्रा . निकाली, स्पान-स्यान पर गी-रक्ता-सम्मेलन हुए तथा और भी सै-माता की रक्षा के विभिन्न कार्य हुए। कहना 'चाहिये सम्पूर्ण कुम्भ मेला गो-रत्ता-झान्दोलन के ही रूप में परिणत हो गया है। उसी सम्मेलन में यह भी निश्चय हुआ कि सरकार जे यदि 'आगार्म। जन्माष्टमी तक गो-बघ चन्द न किया, तो प्रबल श्यान्दोलन करके कोई रमन उपाय किया जाय! भगवान्‌ करें में 'पनी ही सरकार के--जिसे हमने झपने रक्त से सींचा है-- जिसके लिये हमने जेलों की यातनाएँ केली हैं, उसके विरुद्ध हमे उग्र उपाय न करना पढे । पर यदि हमें विवश द्ोना पढ़ा, तो हम इसके लिये भी न चूकेंगे । इसलिये हमें 'भी से जनमत “जैयार करके जन-जाएूति का काम करना चाहिये । इतने काम हमें करने हैं. द-- (९) स्थान-स्थान पर-गो हृत्या-सिरोध-समितियों की स्थापना करें । (स्‍ गौ-माता के लिये माण देने के लिये गी-सेवकों से प्रतिज्ञा-पत्र मरायें । (रे) जो प्राण न दे सकते हो, थे साधारण-सेवर्कों के नियमों के है. म्रतिज्ञा-पत्र को भरकर साधारण सेवक चने, हि) सो-सेवा सम्बन्वी साहित्य-प्रचार, सभा, प्रभात-फेरी, शोभा- 1. यान झादि में सक्रिय भाग लें । जि प्‌रै




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