भावना कुसम गुच्छ | bhavna Kusum Guchchh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
160
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(४ )
है। जिस मकान में किसी का भी कोई कगड़ा न दो और जहाँ
वह निराकुतता पूवक रद्द सकता हो उसमें रहने का विचार
करता है । बह कभो जबरदस्ती किसी दूसरे के मकान में घुस
बैठने का विचार नहीं करता । वदद अन्याय और अभदय का
त्याग करता है, श्रौर भोगांतराय कमें के क्षयोपशमाजुसार जो
भी रस नीरस भोजन उसे मिलता दे उसे दी समता पुबेक
लम्पटता रद्वित अहण कर लेता है। साधर्मी पुरुषों से बाद
विसंबवाद नददीं करता |
शी
त्रह्मवयं ब्रत की भावनायें
त्रह्मचये ब्रत का धारक छ्ियों के मनोहर अंगों को
रागपूर्वक देखने का त्याग करता है । पूव॑काल् में भोगे हुवे
भोर्गों को याद नहीं करता | पुष्ठ रस भोजन नददीं करता ।
इन्द्ियों में काम विकार उत्पन्न करने वाले भोजन का त्याग
करता दे । फ़ैशन का त्याग करता है, अपने शरीर के संस्कार का
त्याग करता दे। शरोर में अं जन, मंजन, श्रतर फुलेलादि काम-
विकार उत्पन्न करने वाले वल्लाभूषण का त्याग करता है ।
परिग्रहत्याग व्रत की भावनायें
_ परिप्रहपरिमाणु ब्रत का घारक गददस्थ झपना जीवन सन्तोष-
पृवक व्यतीत करने की भावना करता है, वद्द बहुपाप के कारण
भन्याय रूप अभच्य पदार्थों का तो जीवन भर के लिये त्याग
कर देता है श्र झन्तराय कम के क्षयोपशमालुसार पंचइन्द्रियों
के विषय भोग सम्बन्धी जो भी योग्य सामग्री प्राप्त होती दै उसे
ही सन्तोषपू्वक भोगता है । मनोज्ञ विषयों में अति राग नहीं
करतां और अति आसक्त नहीं होता। अमनोज्ञ विषयों के
मिल्नने पर खेद खिन्न नहीं दोता, उनसे ट्वेष नहीं करता । दुसरे
User Reviews
No Reviews | Add Yours...