चिन्तनीय बातें | Chintaniya Baten
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
108
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)इमारी वरदान समस्य
तब कया होगा ?
जो इमारे पास नहीं है, शायद जो पहले भी नहीं था, जो
यदनों के पास या, जिसका स्पन्दन यूगेपीय तियुराधार ( डाइनमो >
से उस मद्दाशक्ति को बड़े बेग से उत्पन कर रद दे, जिसका संचार
समस्त भूमण्डढ में हो रददा है, हम उसी को चाहते हैं । इम बही
उपभ, वड्दी रशधीनता की प्रीति, वद्दी आपावठम्यन, घह्दी छटठः
पैर, चद्दी कार्यदक्षता, बढ़ी एकता और बद्दी उनतिनतुष्णा चाहते
हैं। बीती बातों की उेड-चुन छोड़कर अनन्त तक विस्ताछति
छाप्रसर दृष्टि की इम कामना करते दैं और शिर से पैर तक की सब.
नसों में बदनेवाजे रजोगुण की उत्कट इच्छा रखते हैं ।
त्याग की भपेक्षा डर अवि शान्तिदायी कया हो सकता
है १ अनन्त कल्याण की तुठना में क्षणिक ऐददिकि कल्याण निःसेशय
भयन्त तुष्छै। सचयुण की अपेक्षा मददाराक्ति का सेंचय और किससे
हो सकता है ? यदद बास्तव में सस दे कि अष्यात्मविद्या की तुढ्ना
में औौर सब्र विचायें * अवियायिं हैं, किन्तु इस संसार में कितने
मनुष्य सत्गुण प्राप्त वारते हैं ! इस भारतभूमि में ऐसे कितने मनुष्य
हैं १ कितने मतुष्यों में ऐसा मददावीरव दे, जो ममता को छोड़कर,
सर्े्यागी हो सकें १ बह दूर्दटि कितने मनुष्यों के भाग्य में है,
जिससे सब पार्यिंद छुख्ड तुष्छ विदित होते हैं. १ वद्द विद्या इृदय
यों है, जो भगवान के सौन्दय और महिमा की चिन्ता में श्षपने
दारीए को भी भूल जाता दे १ जो ऐसे हैं. भी, वे समग्र मात की
जनसंख्या की तुठना में मुट्ठी भर दी हैं । इन थोड़े से मनुष्यों की
मुक्ति के ठिये करोड़ों नरनाशखों को सामाजिक और शाष्यास्तिक,
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