चिन्तनीय बातें | Chintaniya Baten

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इमारी वरदान समस्य तब कया होगा ? जो इमारे पास नहीं है, शायद जो पहले भी नहीं था, जो यदनों के पास या, जिसका स्पन्दन यूगेपीय तियुराधार ( डाइनमो > से उस मद्दाशक्ति को बड़े बेग से उत्पन कर रद दे, जिसका संचार समस्त भूमण्डढ में हो रददा है, हम उसी को चाहते हैं । इम बही उपभ, वड्दी रशधीनता की प्रीति, वद्दी आपावठम्यन, घह्दी छटठः पैर, चद्दी कार्यदक्षता, बढ़ी एकता और बद्दी उनतिनतुष्णा चाहते हैं। बीती बातों की उेड-चुन छोड़कर अनन्त तक विस्ताछति छाप्रसर दृष्टि की इम कामना करते दैं और शिर से पैर तक की सब. नसों में बदनेवाजे रजोगुण की उत्कट इच्छा रखते हैं । त्याग की भपेक्षा डर अवि शान्तिदायी कया हो सकता है १ अनन्त कल्याण की तुठना में क्षणिक ऐददिकि कल्याण निःसेशय भयन्त तुष्छै। सचयुण की अपेक्षा मददाराक्ति का सेंचय और किससे हो सकता है ? यदद बास्तव में सस दे कि अष्यात्मविद्या की तुढ्ना में औौर सब्र विचायें * अवियायिं हैं, किन्तु इस संसार में कितने मनुष्य सत्गुण प्राप्त वारते हैं ! इस भारतभूमि में ऐसे कितने मनुष्य हैं १ कितने मतुष्यों में ऐसा मददावीरव दे, जो ममता को छोड़कर, सर्े्यागी हो सकें १ बह दूर्दटि कितने मनुष्यों के भाग्य में है, जिससे सब पार्यिंद छुख्ड तुष्छ विदित होते हैं. १ वद्द विद्या इृदय यों है, जो भगवान के सौन्दय और महिमा की चिन्ता में श्षपने दारीए को भी भूल जाता दे १ जो ऐसे हैं. भी, वे समग्र मात की जनसंख्या की तुठना में मुट्ठी भर दी हैं । इन थोड़े से मनुष्यों की मुक्ति के ठिये करोड़ों नरनाशखों को सामाजिक और शाष्यास्तिक,




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