संस्कृति और सिविलिजेशन | Sanskriti Aur Civilization
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
150
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( हर )
सारनेदाले, पशुओं को मारनेवाला से भी ज्यादा पापी हो । दुनिया
औरों की दोस्तो दूढतो हैं । दुम सतपुग से गाय आये भाइयों वो ठुक्रातें
हो । कया ये चूहे रानेवालों विल्लो और गौ-मक्षवों में थी युरे हैं, जिनका
जूठा दूप लुम पोते हो और उन्हें ऊदा चबेठात हो ? चमार दान्द
से शगर नफरन है तय “रामलाल” झाब्द से तो प्यार होना चाहिए ।
“शोडसन ' और “पुदायप्श” के नाम तो तुम्टारी नजरों में प्योर (फपा)
और पाक हैं । तुमने मेरा भाम क्यो साडा दिया *? मेरे नाम से तो पत्यर
भी तिरते थे। तुलसी और गमाजल पवित्र करते थे । क्या वे सब
नषु सको व हाथ में आने से बेकार हो गयें ? दिवाला मत निवालो;
चहन छोड़ो । तुम मिलकर सब ३३ करोड देवता हो, सुमसें कोई नीच
नहीं है
ज० व०-जय हो ! लय हो अछूतोद्धार दिल पास करो, हमें
मजूर हूँ ।*
हिन्दू कोड विल
सरऊति-“ ब्रिथ त्पायो ! तू नई दुनिया में तो निप्काम कर्म को
बडाई मार आया और मुझे तू सकाम कर्म का प्याला पिलाता हूँ! में तो चेटा।
प्रेम और निप्कास कर्म के कारण ही दुदमनो के
मरी । मेल छूटने से तो तु कहता हैं कि दुबली
नारीस्यान,
हजारों घक्फो से भी नहीं
हो भई और सुद सर्दस्थान,
भाई स्थान और बहनस्यान छाटना चाहता है ! हू इतना
बडा त्पामी अपनी मृत भार्या को स्मृति में परदेदा में भी फूल चढाना नहीं
सूलता ! उससे भेम में से टूलरो औरत को अल्पाश भी नहीं देना चाहता !
तु हो एक शिव है, जो मरी हुई पाद॑ती को के पर छियें फिरता हे?
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