व्यापर - संगठन | Vyapar - Sangathan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
34 MB
कुल पष्ठ :
548
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[1
मन्त्री श्रीमान् बाबू रड्छालजी जाजोदिया एम० एल० सी० का
अत्यन्त छृतन्ञ हूं जिन्होंने प्रचुर घन व्यय कर महासभा द्वारा
इस पुर्तककों प्रकाशित करनेकी कपा की है। कलकततेमे'
मद्दासभाका जब अधिवेशन हुआ था, तब व्यापारिक पुस्तकोंकि
प्रकाशित करनेका एक प्रस्ताव खास तौरपर ख्रोछृत हुआ था ।
उसके उपयंत सेठ जमनालालज्ी बज्ञाजने बम्बईसे एक पत्र मेरे
पास गागरा महासभाके लिये पुस्तक लिश्ननेको भेजा था ।
पर उस समय कई कारणोंसे में उक्त का्यको पूरा न कर सका ।
बहुत समयके बाद मद्दासभासे यह पुर्तक प्रकाशित हो रही है ।
कहना न होगा कि यद्द पुस्तक अनेक विज्न-बाधघाओंको पार कर
प्रकाशित हुई है । बीच बीचमे' इतनी भंफरें आई' कि इसके
प्रकाशनमे' बहुत समय लग गया |
हिन्दी भाषाके प्रेमी, वेश्य-कुछ-भूषण, श्रोमान् सेठ आनन्दी-
साठजी पोद्दारको इस पुस्तकका समपेंण कर लेखब् अपनेको
कतज्ञ समकता है। भाप जत्यन्त उदार है, शिक्षाप्रेमी ह,
समाजदितेषी है और व्यापारिक व औद्योगिक साहित्य द्वारा
भारतीय राष्ट्र उत्थान माननेबाढे हैं । समाज-उन्नतिमे' आप
पूर्ण अनुराग रखते हैं। इसीसे आप अखिल भारतवर्षोय
मारवाड़ी अग्रवाल मद्दासभाक कानपुरवाले अधिवेशनके
सभापति भी दो चुके हें ।
अन्तमें' इस पुर्तकका अंग्रे जीमें “फोरवड” लिखनेके लिये
में कढठकत्ता दाइकोटके खुप्रसिद्ध बेरिस्टर बाबू काली प्रसादज़ी
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