हिन्दू राजतन्त्र | Hindu Rajtantra

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Hindu Rajtantra by काशीप्रसाद जायसवाल - Kashi Prasad Jayaswal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(७ ) जान पड़ता है कि प्राचीन शब्द “झथे? श्रौर “दंड” का स्थान ' झागे चरतकर नीति श्रौर नय शब्दों ने ले लिया । काम दक ने अपनी पद्यमय रचना का नास नीति- सार रखा है । जा ग्रंथ शुक्र का बनाया हुआ माना जाता है श्रौर जा अपने वते- मान रूप में एक प्रसिद्ध प्राचीन प्र थ का दोहराया हुश्मा संस्क- रण है श्रौर जा कदाचित्‌ उष्ण की प्राचीन दंडनीति के झाधार पर बना है, उसका नाम भी नीतिसार--शुक्र नीतिसार--है+ | पंचतंत्र नामक ग्रंथ में, जिस में राजकुमारों तथा भावी राजनीतिज्ञों के लिये छोटी छोटी कहानियों में राजनीति के सिद्धांत बतलाए गए हैं, इस साहिय का नम 'नय-शास्त्र दिया गया है। | द् 7 नचोएथी चार पाँचवीं शताब्दी के अ्रंथ माने गए हैं । उसमें यह भी कहा गया है कि शक और तोखरी ले!ग हिंदू राजाओं के अधीन हुए थे (० ६३) । पर यह घटना ईसवी पाँचवीं शताब्दी के ्रारंभ की है । यहाँ इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि कामं दक॒ के समय में महषि यें का बनाया हुआ राजनीति विज्ञान संबंधी जा ग्रंथ प्रचलित था ( ८, २३ ) चइ शांतिप् के समाप्त होने के समय अप्राप्य हो गया था । ( अ० ३४३, १२ कुंमबकाणस । ) # मध्य युग तथा उसके उपरांत के घर्म-शास्त्र के टीकाकारों ने इस ग्रंथ का उल्लेख किया है ओर उसमें से झनेक ऑऔश उद्धत किए हैं । इस समय जो संस्करण प्रचलित है, उसमें उुभे वे उद्धरण नहीं मिले । इससे जान पड़ता है कि सच्नहवीं शताब्दी के लगभग शवश्य ही यह अंथ फिर से दाइराया गया छागा। इसमें अधिकांश सें प्राचीन सिद्धांत ही दिए गए हैं । 1 नय-शास्त्र-कतू म्यः । पंचत'त्र श्रध्याय १ ।




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