सांख्यिकी | Sankhiyaki
श्रेणी : अर्थशास्त्र / Economics
लेखक :
एल० एम० पोरवाल - L.M. Porwaal,
दयासिंह यादव - Dayasingh Yadav,
हरिश्चंद्र शर्मा - Harishchandra Sharma
दयासिंह यादव - Dayasingh Yadav,
हरिश्चंद्र शर्मा - Harishchandra Sharma
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
541
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
एल० एम० पोरवाल - L.M. Porwaal
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दयासिंह यादव - Dayasingh Yadav
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हरिश्चंद्र शर्मा - Harishchandra Sharma
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)साह्यिकी
तुलनात्मक म्रष्ययन तथा विवेचन सम्बन्धी रीतियो से सम्पन्धित विज्ञान है 17
उपरोक्त परिभाषाग्री को ध्यान में रखने हुए निम्नलिखित परिभाषा झधिक उपयुक्त है द
समक, कमबद्ध सहसम्बन्धित प्राकृतिक श्रयवा सामाजिक गोचर घटनाओओ के
साफ गणना या श्रनुमान को कहते हैं ।*
उपरोक्त परिभाषा के प्रनुमार भरको का संग्रह किसी भी रीति-माप, गणना
या ब्रनुमान॑ से हो सकता है । अ्रक प्राकृतिक ( छोएफआ एक ) या सामाजिक (80018)
घटनाश्रो से सम्बन्वित होने चाहिए तया उन्हें विज्ञान कहने के लिए उत्हे किमी क्रम में
हो प्रस्तुत करना चाहिए। सब भर क तुलनात्मक दृष्टि से सम्बन्धित होने चाहिए । इन
सब निशेमतापों का इस परिमापा में समावेश होते के बारण यह परिभाषा पूर्ण एवं
झाधुनिक है । कर का
। मआ«८ १७७... (0 सांख्यिकीय रीतियां
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सख्या-शास्त्र सख्यात्मक तथ्यों से व्यवहार करता है श्रौर तथ्यों का एक्य्रीकरण,
घ्नुमान हथा यनसे निष्कर्ष निकालने का कार्य सरल नहीं है । प्रारम्भ में तथ्य का संग्रह
किया जाता है तया उन्हें सुब्यवस्थित रूप में प्रस्तुत करना पड़ना है ताकि उनकी शामस में
सुनना की जा सके पर वह सरलता से समक में भा सकें । इसके पश्चात् उनती तुलना
करने प्रथवा प्रारम्भिक सम्बन्ध की जानकारी प्राप्त करने के लिए उनके माध्य निकाले
जाते हैं ग्रथवा वह रेवाचित्र पर श्रद्धित छिये जाते हैं । सतश्वात् उनसे निश्चित निष्कर्ष
पर पहुँचने का यल्न किया जाता है । इन सर कार्यों के लिये विशेष रीतिया भपनाई जाती
हैं। यह रीतिया ही साख्यिकीय रीतिया हैं । श्रत साल्पिकीय रोतिया वह हैं जिनकी
सहायता से भर क सप्रहण, वर्गीकरण तथा सारणीयन करके उनको तुलना की जा सके
झौर शुद्ध परिणाम निकाले जा सकें । साछ्यिकीय रीतिया निम्तलिखित भागों में बाटी
जा सकती हैं ८८
१ श्रद्ध, संग्रहण ( 0णा6०७0०० 0 108 )--इंतके अन्तर्गत उन नियमों
का प्रयोग आता है जो भ्द्धो के सप्रहण से सम्बन्धित हैं।. प्रद्धू सम्पुों इचट्ठे करने हैं
अथवा नसूते की प्रणाली का उपयोग करता है | सके झन्तगंत इत्र दोनों साबतों के
झ्लगत श्रपनाये जाने वाने तरीके सम्मिलित हैं ।
तर वर्गीकरण तथा सारणीयन ( एक5आ0क्र 00 घाव पथ! ॥,-
0 )-- पदों के एकम्रीकरण के पश्चात उनको छुदोव एवं सरन रूप में प्रत्वुत करने
के लिए जो सिद्धान्त भपनाये जति हैं वह इसके झसर्गत झाते हैं । वर्गीकृत तथा सारणीवद्ध
श्रद्ध ही दिप्कप निकालने में सटायक हो सकते हे ।
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