वीतराग विज्ञान प्रशिक्षण निर्देशिका | Vitarag Vigyan Prashikshan Nirdeshika
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
156
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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उपरोक्त पारिभाषिक शब्दों का विश्लेषण व उनके विशेष
निर्देशों को स्पष्टतया समभ लेना झ्रावश्यक है। इनका विशेष
स्पष्टीकरण निम्नानुसार है :-
१. पाठ-योजना
पढाये जाने वाले पाठ की श्रध्यापन व श्रध्ययन की दृष्टि से
विस्तृत योजना बनाना श्रत्यावश्यक है । इसे पाठ-योजना कहते है ।
२८ प्रकरण
पाठ के जिस झ्रण काज्ञान छात्रों को देना हो उसे प्रकरण
कहते है । प्राय पाठ के ही नाम को प्रकरण समभ लिया जाता है ।
पाठ का नाम भी प्रकरण हो सकता है पर सुक्ष्मता से विचार करने
पर विस्तृत सीमा को लिये हुये पाठ के श्रन्तगंत कई प्रकरण हो
सकते है । उदाहरणतः 'कषाय' वाले पाठ मे यदि एक दिन मे “क्रोध
और मान' ही पढ़ाना हो तो प्रकरण “क्रोध श्र मान कषाय' दिया
जाना चाहिए ।
३. उद्देश्य
प्रत्येक कार्य के पीछे एक लक्ष्य (उद्देश्य) होता है। यहाँ हम
उद्देश्य को दो भागों मे विभाजित कर सकते है -
(क) सामान्य उद्देश्य
(ख) विशेष उद्देश्य
(क) सामान्य उद्देश्य - सामान्य उद्देश्य सब पाठों मे समान
रूप से पाये जाते है ।
(ख) विशेष उद्देश्य - विशेष उद्देश्य पाठ-विशेष से सबघित होते
है । ये तात्कालिक पादूयवस्तु के अनुसार निर्धारित किये जाते है ।
'४- उद्देश्य कथन
छात्रो को पढाना प्रारम्भ करने के पूर्व यदि पाठ का उद्देश्य
बता दिया जाय तो वे उसे झधिक रुचिपूर्वक पढते है । भरत: पाठ
प्रारम्भ करने के पूर्व उद्देश्य अवश्य बता देना चाहिये। इसको ही
उद्देश्य कथन कहते है । उद्देश्य कथन सरल, संक्षिप्त और रोचक होना
चाहिए ।
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