ज्ञान सूर्योदय [भाग २] | Gyan Suryodaya [Part 2]
श्रेणी : दार्शनिक / Philosophical
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
88
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(है 2 की
गया झोर जब उन्द्दोने भी इनकार कर दिया तो दुखरा पुरोहित
बनाना चादा । वशिष्टके चेरौने इसवात से नाराज होकर उसको
शाप दिया कि तू चॉडालद्दोजा । राजञाचांडाल दोगया । श्र रोता
हुवा विश्वामिडा के पास गया जिसने वशिष्ठसे झापने पुराने बेर
का बदला लेने के चास्ते चायदा किया कि मैं तुमको इस ही शरीर
से स्वगपहु चादूगा।इसकेवास्ते विश्वामिन्न नेसव सुनियोकों वलाकर
राजा से यज्ञ कराना घुरू किया । सब ऋषिश्ाये पर बशिष्टके सौ
घट नद्दीं झाये । विश्वासिन्न ने झपने क्ोघ से उनसलवक्ों भस्म कर
दिया । इस चात से भय खाकर सबही श्षि यक्ष करने लगे परतु
राजा के चांडाल दोजाने छ्े कारण देवतालोग यक्षका भाग लेने
नहीं झाये तब चिश्वामिने राजा से कहा कि झच्छा तुम हमारे
ही तपके चछसे स्वग जाओ । विश्वामिडाके मु इसे यददवात निकलते
ही राजा झाकाश की तरफ उड़ा । इन्ठने उसको वीच ही में रोका
राजा नीचे गिरनेलगा । तब विश्वामित्रने अपने तपके वलसे उसको
चहां ठद्दरा दिया । फिर देवताओं पर क्रोध करके दिश्वोमित्रने पक
दूसरी दी डुनिया चनानी शुरू करदी । दृुक्षिणकी तरफ खत घ्पि
झौर सच्तडा सच बनाये श्रौर तरह तरदद के प्राणी श्रौर वनस्पति
चनाकर जब इन्द्र ादि देवता शी दुसरे वनाने चाहे तो देदता लोग
घबरा कर उससे सा मांगने झाये । विश्वामित्र ने झपनी बनाई:
हुई रुष्टि कायम रख कर श्र राजा को झाकाश में एक यह के
समान स्थापित करके तवह्दी झमा दी । एक चार पानी नहीं चरसा
झौर भारी दुष्काल पड़गया । उस खमय विश्वामित्र एक चांडाल
के यहां सिध्षामांगने गये । वहांसे छुः्टोका मांस सिला। चिश्वामिश्
ने उसदी माँसकी सब देवताओंको चलिदी । देवताइरके मारे कांप
गये और इन्द्रचे तुरन्तदी पानी वरसा दिया । इसकेवाद विश्वामि्र
झौर बशिष्ठ में बड़ा भारी युद्ध हुआ जिखसे तीनलोक कांप गया ।
इस प्रकार ज्ञो ज़रासा क्रोध झाने पर एकदम संकड़ों को
न
User Reviews
No Reviews | Add Yours...