अमेरिका में प्रजातंत्र | Amerika Men Prajatantra

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Book Image : अमेरिका में प्रजातंत्र  - Amerika Men Prajatantra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उपोद्घात श्प सम्बन्ध नहीं थे । महासागरों से अमरीका दोप जगत्‌ से पथकू होने के कारण विदेशी आकमणों से सुरक्षित था। उस समय विदेशों में उसके हित तुलनात्मक रूप से कम और महत्वहदीन थे; दूसरे राष्ट्रों के साथ उसके व्यवहार प्रायः नहीं के बराबर थे। यद्यपि राष्ट्राध्यक्ष के हाथों में ऐसे विशेषाधिकार थे जो * प्रायः दाही विशेषाधिकारो * का रूप धारण कर सकते थे, तथापि उस समय भौतिक प्रथकरण और वैदेशिक सम्बन्ध के अमाव ने इन परमाधिकारों को व्यवहार में छाने के छिए कार्यकारिणी के अवसरों को पूर्णतः सीमित कर दिया । इस प्रकार कानून अथवा संविधान ने नहीं, प्रत्युत केवल परिस्थिति ने राष्ट्राथ्यक्ष के अधिकारों को निर्बछ बना दिया था, और एक विवेचक एवं भविष्यवक्ता के रूप में टोकवीठ को इस बात का श्रेय है कि उसने स्पप्तः अनुमान लगा लिया था कि भविष्य मैं ऐसी कौन-सी नयी परिष्थितियों होगी जो निश्चय दी कार्यपालिका के प्रभाव यें क्रांतिकारी परिवर्तन कर देंगी । यदि अमरीका को विश्व की महान्‌ थक्ति का केन्द्र बनना है और उसके पूर्व समय की प्रथकूता को भूत की बात बनना है तो शासकीय सत्ता का विभाजन बहुत कुछ भिन्न दोगा। यदि संघ का अस्तित्व निरंतर खतरे मैं बना रहेगा, यदि उसके मुख्य हितो का दैनिक सम्बन्ध अन्य दाक्तिशाली राष्ट्रों के साथ रहेगा, * तो कार्यपालिका-सरकार से जिन कांयों की आझा की जायगी और जो कार्य बह करेगी, उससे उन्हीं के अनुपात में उसका महत्व भी बढ जायगा । आज केवल थोडे-से अमरीकियों को इस बाद में सन्देद होगा कि हमारे राष्ट्रपति के हाथों में स्वयं अत्यघिक अधिकारों के केन्द्रित हो जाने का परिणाम यदद हुआ कि प्रथम बिश्व-युद्ध के याद के वर्त्री में अमरीका कम-सै-कम अधिकांश रूप में एक महान विद्व-द्ाक्ति के रूप मैं प्रकट हुआ है। बीसवीं दाताब्दी के मध्य में हमारे यहाँ वैदेशिक सम्बन्धों में विस्तार और महत्व की दृष्टि से अपार त्रृद्धि हुई है। दमारी कार्यपालिका को अपनी कुशलता और दाक्ति के प्रदर्शन का पर्याप्त अवसर मिलता है । परिणामतः राष्ट्राध्यक्ष के * प्रायः राजकीय परमाधिकार* अब व्यापक रूप से मदसूस किये गये है, जो टोकवील की भविष्यवाणी से बहुत-कुछ मिलते हैं टोकवील ने अमरीका के आर्थिक अनुसन्धानों में भी - अमरीकियों के धन के प्रति प्रगाद़ प्रेस के विपय में, क़ंषि की अपेक्षा वाणिज्य और उदोग के लिए, उनकी बढ़ती हुई अधियान्यता, था उनडी विशाल मौतिक सफलता की भावी सम्मावनाओ के विषय में - अनेक बुद्धिमत्तापूर्ण निरीक्षण किये हैं । उसने




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