संसार की महान् आत्माएँ | Sansar Ki Mahan Aatmaye
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
122
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)म
गातम उुद्ठ [११
“सिक्तओ, संभव है मेरे पइचात् तुम समझने लगो कि झब
हमारा उपदेशक कोई नहीं, हमारा मार्ग-दशीक कोई सहीं । ऐसा कमी
मत्त समकना । जिन-जिन घर्मों का मैंने उपदेश किया है, उन्हीं को तुम
ापना शास्ता (उपदेकक) आर मार्ग दशक समससा 1”!
यह हैं तघागत के अन्तिम शब्द जिनकी संक्रार आज भी धर्म-
प्राण जनता को शान्ति का अमर-सन्देश दे रही है। उसकी पावन-
स्मृति में विद्तर के करोड़ों कण्ठों से ाज भी एक ही व्वसि निकलती है--
“वुदठ शरण गच्छामि, घम्में शरण गच्छामि, संघ शरपं
गच्ल्लामि 1”?
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