जीवनामृत | Jivanamrit
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
112
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)स्वास्थ्य
कुचल देते हैं और उनके स्थान पर, समय से पूर्व, उन में गस्भी-
रता लाना चाहते है; वे झपने बच्चों के साथ अन्याय करते हैं: ।
बचपन मनुष्य-जीचन का सुनहस काल है । 'झामोद प्रमोद उसका
सार है। चंचलता श्र चपलता उसका भरूपण हैं । इनको सिटा
देने से झाप उनके वचपन दी को सिटा देना चाहते हैं ।
क्या तुम्हें अपना बचपन याब नहीं ? क्या तुम उसके लिये
तरसते नहीं ? यदि ऐसा है; तो फिर तुम अपने बच्चों को क्यों इस
प्रकार नहीं रखते कि उनको झपने बचपन का समय भावी जीवन
में सचंदा याद रहे । बचपन की स्पतियां यदि सुख-प्रद होंगी, तो
चुदापा सुख से कटेगा। इस तथ्य को ध्यान में रखना चाहिए ।
बच्चों के स्वास्थ्य के लिए सभी आवश्यक वातों पर पूरा पूरा
ध्यान दो । उनको खुले; हवादार तथा प्रकाश से परिपूर्ण मकानों
में रक््खो । प्रात: नियम-पच॑क्त स्वच्छ वायु का सेवन तथा झाहार
व्यवहार का प्रहण करना परिवार के सभी व्यक्तियों के लिए अनि
वाय्य होना चाहिए |
जो साता अपने गृद-प्रचन्ध सें स्वास्थ्य का स्थान ऊंचा नहीं सम-
मती; मानों बह अपने परिवार में दुःख को निमन्त्रण देती है.।
साता को चाहिए कि बीमारी लाने वाले तमास कारण अपने घर से
दूर रक्खे । प्रात: उठकर घर के दरवाज़े खोल दे, उसको स्वच्छ
करे । चारों ओर हुबा और प्रकाश फेला दे । बच्चों में ऐसे भाव डाले
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