अन्नदाता | Annadata
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
163
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अन्नदाता थु
क्लाइव स्ट्रीट,
६ अगस्त
श्रीमानू जी,
श्रीमानू मान्यवर की मंभकली बेटी ने मुक्त सपेरे की वीन के लिए
कहा था । श्राज शाम को बाजार में मुझे एक सपेरा मिल गया । पच्चीस
डालर देकर मैंने एक बहुत सुन्दर बीन खरीद ली । यह वीन स्पब्ज की
' तरह हल्की श्रौर कोमल है। यह एक भारतीय फल से, जिसे 'लौकी'
कहते हैं, तैयार की जाती है । यह वीन बिल्कुल हाथ की बनी हुई है.
श्रौर इसे तयार करते समय किसी मशीन से काम नहीं लिया गया । मैंने
इस वीन पर पालिश कराया है श्रीर उसे सागवान' के एक सुन्दर वक्स में
बन्द करके श्रीमानू मान्यवर की मं कली बेटी इडिथ के लिए उपहार-स्वरूप
भेज रहा हूं ।
मैं हूं, श्रीमावृ का सेवक,
एफ० वी० पटाखा
१० झगस्त ॥
... कलकत्ते में हमारे देश की तरह राशनिंग नहीं है । खाद्य के सम्बन्ध
में हर व्यक्ति को पूर्ण स्वतन्त्रता है । वह वाज़ार से जितना झ्नाज चाहे
खरीद ले । कल टिल्ली देश के राजदूत ने मुझे खाने पर निमंत्रित किया ।
छव्वीस प्रकार के गोदत के सालन थे । सब्जियों श्रौर मीठी चीज़ों के लिए
दो दर्जन कोर्स तैयार किए गए थे । यारा बहुत ही वढ़िया थी । हमारे
. यहां, जैसा कि श्रीमादू जी अच्छी तरह जानते हैं, प्याज तक की राशनिंग
है। इस नाते कलकत्ते के निवासी वहुत भाग्यशाली हैं । खाने पर एक
भारतीय इंजीनियर भी नि्मन्त्रित था । यह इंजीनियर हमारे देश का
शिक्षित है । वातों-वातों में उसने कहा कि कलकत्तें में अकाल पड़ा ह्ञ्ा
है । इस पर टिल्ली क़ा राजदूत कहकहा लगाकर हंसने लगा श्रौर मुझे
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