उववाइय सूत्रम् | Uvavaiya Sutram
श्रेणी : अन्य / Others
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
394
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पु नमो जिणाणं जियभयाणं
उववाइय सुत्त॑ं
नगरी बन
३-- तेण॑ कालेणं तेण॑ समण्ण चम्पा नाम नयरी
होत्था । रिद्व-त्थिमिय-समिद्धा, ” पमुइय-जश-जाणवया
दआइण्ण-जश-मणुस्सा दल-सयसहस्स-संकिटट-विकिट्ट-लटट-
पृण्णुत्त-सेउसीमा कुक्कुड-संडेय-गाम-पउरा ” उच्छु-जव-
सालि-कलिया गो-महिस-गवेलग-प्पथूया;
उस काल भौर उस समय में “चम्पा' नामकी नगरी
थी । वह ऋद्धिदाली (- भवनादि से बढ़तीं हुई कलावाली ) ,
+ पाठान्तरे-'पमुइय-जणुज्जाण-जणवया' ।
+ पाठान्तरे-...'सालिमालिणीया' ।
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