पंचास्तिकायः | Panchastikay
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
278
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पयालिगाप 1 प्
मंत्र शम्दशादार्थरूपेग निरिषाउनियेयता समयशब्दस्य ठोकालेकव्िमागयानिदिन [
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तन थे. परथावामलिकायाना सभी मध्यस्थों रागदेपाग्यामतुरइतों वर्षपदवा-
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यथनमुख्यचेन हुनीयों मदापिपार इति समुदापेनकाली सुक्तरशतगारधािमंदाविरारभय हातन्य ।
सब्र महापिकारि पाठकमेणा तराविकारा कथ्यनते । तथया-एयाइशोत्तरसतसाधामप्ं *'इूद
सब” इनयादि गायासप्तत समपशब्दार्यपीदिकाप्याए पानसुरपलेन, सदन तरें धतुदेगगाथा
इप्यपीठिकाव्या पानय, अप गाधापथक फाउद्रस्यमुए स्वेन, तदनस्तरं निपदाशद्ाया जीरा-
सिरायपयनस्पेण, सय गायादशक पुदटासिवायमुर्य देन, तदनन्तर साधासतर धर्माध
मास्तिकापप्याएपानिव, अप गापासितरमाराशास्तिवायकथनमुश्य रेस, तंदनन्तर गायाएप'
चूटिकोपसदारप्याह्पानमुख्य देन पथयनीत्यप्मिर तराथिवार परयास्तिपायपडयप्यप्रततपणमप्रथ
ममदाधिकारि समुदापपातनिका 1 तमाप्टान्तराधिकारइ मे प्रथमत सप्ततायामि समयगम्थ
सपीटिका कप्यते-सामु समयाधासु मष्ये गाथाइयेनशविदतामिमतदेवतानमरारों मड्र्य
साथ गाधाय्रपेण एयाल्तिशायर्मशषेपप्यार यान, सरनन्तर एफ्गापपा भाठसदितपदालिशा
थानों दंव्यपंक्ञा, पुनरंकगाथया सेशरम्पर्तिरररीपररिदारमिति समदराम्दाधपीरिगर्य स्वसशपेण
समुशपपातानेका |
अथ गाधापूर्ान न्टज्ानाथरूपेण थियामि' यता समयपम्स्प उ्गर्तन हु डावानेव
बरकदां ज्ञाता हू अर्थसमय बर हैं तो बगव नप्ीन है ॥.. ॥ भाग राइद कान अर्थ
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