बालिकाओं की प्राथमिक शिक्षा प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण के सन्दर्भ में एक अध्ययन | Balikon Ki Prathamik Shiksha Prathamik Shiksha Ke Sarvabhomikaran Ke Sandarbh Men Ek Adhyayan
श्रेणी : शिक्षा / Education
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
31 MB
कुल पष्ठ :
126
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)होने के बावजूद पिछले 50 वर्षों में इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया
गया । प्राथमिक शिक्षा की इस अवहेलना के भारत को गम्भीर परिणाम भागने पड़
रहे हैं । प्राधामिक स्तर तक सभी बच्चें के नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा देने
की व्यवस्था करने के लिए नौवीं. पंचवर्षीय योजना में 50 हजार करोड़ रूपये
जुटान की बात कही गयी है लेकिन ऐसा हो. सकेगा, इस बात की संभावना कम
ही है |
न
संविधान में शिक्षा:-
सन 1947 में स्वतंत्रता के साथ भारत को विरासत में मिलने वाली शिक्षा
व्यवस्था न केवल मात्रात्सक रूप से सीमित थी अपितु उसमें क्षेत्रीय और ढाचागत
असन्तुलन भी विद्यमान थे । केवल 14% जनसंख्या साक्षर थी ओर प्रत्यक 3 में
से केवल 1 बच्चा प्राथमिक विद्यालय में नामांकित था । शिक्षा को विकास की
प्रकिया. की एक महत्वपूर्ण कड़ी मानकर, शैक्षिक व्यवस्था में सुधार तथा पुनर्सरचना
की आवश्यकता _ अनुभव की गयी । भारतीय संविधान के निम्नलिखित अनुच्छेद
शैक्षिक विकास के राज्य के कर्तव्य को निर्धारित करते है :-
संविधान के नीति निर्देशक तत्वों से सम्बन्धित अनुच्छेद 45 में कहा गया है
कि राज्य का यह कर्तव्य होगा कि वह संविधान लागू होने के 10: वर्ष के अन्दर
14 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चों को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध
करायेगा । इस अनुच्छेद में उल्लिखित राज्य शब्द की व्याख्या करते हुए अनुच्छेद
12 में कहा गया है कि राज्य शब्द के अन्तर्गत भारत सरकार और संसद,
प्त्सेक राज्य की सरकार तथा व्यवस्थापिका एवं केन्द्र शासित क्षेत्रों अथवा केन्द्र
सरकार के अधीन समस्त स्थानीय अथवा अन्य सत्तायें सम्मिलित हैं ।
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