भवभूति का वास्तुविधान - शिल्प | Bhavabhuti Ka Vastuvidhan - Shilp
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
244 MB
कुल पष्ठ :
252
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand).. तब इनमें से अधिकतर रूपक लॉकनाटक के ही स्वशूप मेद थे ।
जी मी सदी, यह रक यथार्थ है फि संस्कृत साहित्य में नाटक का स्थान
.. सर्वॉपाए रहा हैं । हमाएं नाटककार ने छोकदाष्टि अर शास्त्रदाष्टि दॉनाँ का
. समन्वय करत हर जा कलात्मक नाटक हम प्रदान किये हैं वे अपनन-अपन वरशिष्ट्य मं अधितीय
हैं | नाटक की कलात्मक अधितीयता की सर्व मर्घन्य नाटककार कालिदास ने स्वर्य इन
शबदोँ में रैवाकित किया है--
देवाना मिद्मा मर्नान्त मुनय: शान्तं कृत चादाएण मु
रूद्रेण्पे दमुमा कृत व्यत्तिकरे स्वांगे विभक्त दिघा ।
त्रेगुण्यी दूषवमन्र लौकचरिरित नानारसं दुश्यते
रे भः थे. छु थे, है $
नाट्य मिन्कचर्जनस्य बहुघाप्यंक समपाराघधनमु । |
कालिदास ने रू बार पन: हर्मे माएत के नाट्यशास्त्र का स्मरण दिछाया हें
नाट्यकला, क॑ दात्र में जा महत्व लॉकतत्व को मरत ने दिया था, वहीं काठिदास भी
दे रहे है । कवि का बहत सीघा+सा तात्पय यह ह कि मनीणी छाया ने नोटठक करो
अभि चिपुर्णं छीगां के लिये आनन्ददायक चादएगा यन कहा हैं । उाटक ढुद्य हैं उप!
यह चादाएष समारोह हैं । नटराज शिव ने स्वय उमा के सहयीग से इसे ताण्डव अर
_ लास्य नृत्य प्रदान फिये है । यह न्रिगुणात्फ् जीवन का दृश्य विधान करता हैं जत:
नाना मावाँ अर रसाँ से मरपरर होता है । सी भाव आँए एस सत्व, एजस आर
तमस् गणवृचियाँ की ही अभिव्यक्ति करते हैं । अपनी दृश्य आर श्रव्य विशेषताओं
के कारण तथा छोकजीवन की कलात्मक अनुकुति गएण नाटक समाज के मिन्लल
भिन्न रुचि वाठ सपी लोगों को अकेछा ही आनन्द विमाौए कर देता है ।
कादक . विदा. गंग्रदो. पदाइ, . मंददिक,. धिदादि. दाद. याद पफया दंपिपि वादरििक प्यए. पद पदक. याद मामा
१- मालविका रिनिमित्रमु, ४
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