मान्डूक्योपनिषद | Maandukyopanishad

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : मान्डूक्योपनिषद - Maandukyopanishad

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about श्री गौडपादाचार्य - Shri Gaudapadacharya

Add Infomation AboutShri Gaudapadacharya

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
विषय रघ्. ७८ रद रद डदे०. देश, के र. देश. दे, डेप, दे दे ७. दे, दे९, ४०८ ई- ८ रे, प, चघ् ७, टच ९, प्र पट प्र, ण्ड्द * सि, [ * 1] ही पूछ अकार और विश्वका तादात्म्य शक ***. पट उकार और तेजसका तादात्म्य कर न पु मकार और प्राशका तादात्म्य के *** पद माचारभोकी विश्वादिरूपता की ***. पु७ सकारोपासकका पभमाव नरक न्स्न सइ सकारकी व्यस्तोप[सनाके फल कर सन सच अमात्र और आत्माका तादात्म्य शहप *+ छू० समस्त सर व्यस्त ऑकारोपासना दम सन छुप सॉकारार्थज दी मुनि दे कक *न* घूप, चैतथ्यप्रकरण स्वसदृष्ट पदार्थोंका मिथ्यात्व मर ७ जाअदूडडय पदार्थोके मिथ्यात्वमें हेठ . *** न छट स्वममें मनः्कल्पित और इन्द्रियआद्य दोनो ही अकारके पदार्थ मिथ्या हैं ब ०#+ जन नस ७्घू जाम्रतमें भी दोनों प्रकारके पदार्थ मिथ्या हैं *०*.. ७७ इन सिर्ध्या पदार्थीकी कब्पना करनेवाला कौन है ! *०* ७८ इनकी कल्पना करनेवालमा और इनका साक्षी आत्मा ही है. ७९ पदाथेकल्पनाकी विधि ++* न छर, सान्तरिंक और बाह्य दोनों प्रकारके पदार्थ सिथ्या हैं रे. द्ेक आन्तरिक और बाह्य पदार्थोका भेद केवल इत्द्रियजनित है ८्र पदार्थेकर्पनाकी मूल जीवकब्पना है...” . जीवकट्पनाका देव अज्ञान है. कं न ८ द्वा अश्ञाननिद्त्ति ही आस्मज्ञान है हक ++ ८प चिकल्पकी मूल माया हे कम न द्द भूलतच्वसम्बन्धी विभिन्न सतवाद मंद ** . ८७ आत्मा सर्वाधिष्ठान है ऐसा जाननेवाला दी परमार्थदर्शी है ”* « ९६१ ट्वैतका असत्यत्व वेदान्तवेद्य है श्र ७... परमार्थ क्या है ? कर सर बुध अद्देतमाव दी सज्ञलमय है कर न ०० तच्ववेत्ताकी चृष्टिमें नानास्वका अत्यन्ताभाव है न श०१ इस रहस्यके साध्ठी कौन थे ? कक कु




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now