मान्डूक्योपनिषद | Maandukyopanishad
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
666
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विषय
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सकारोपासकका पभमाव नरक न्स्न सइ
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अमात्र और आत्माका तादात्म्य शहप *+ छू०
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चैतथ्यप्रकरण
स्वसदृष्ट पदार्थोंका मिथ्यात्व मर ७
जाअदूडडय पदार्थोके मिथ्यात्वमें हेठ . *** न छट
स्वममें मनः्कल्पित और इन्द्रियआद्य दोनो ही अकारके पदार्थ
मिथ्या हैं ब ०#+ जन नस ७्घू
जाम्रतमें भी दोनों प्रकारके पदार्थ मिथ्या हैं *०*.. ७७
इन सिर्ध्या पदार्थीकी कब्पना करनेवाला कौन है ! *०* ७८
इनकी कल्पना करनेवालमा और इनका साक्षी आत्मा ही है. ७९
पदाथेकल्पनाकी विधि ++* न छर,
सान्तरिंक और बाह्य दोनों प्रकारके पदार्थ सिथ्या हैं रे. द्ेक
आन्तरिक और बाह्य पदार्थोका भेद केवल इत्द्रियजनित है ८्र
पदार्थेकर्पनाकी मूल जीवकब्पना है...” .
जीवकट्पनाका देव अज्ञान है. कं न ८ द्वा
अश्ञाननिद्त्ति ही आस्मज्ञान है हक ++ ८प
चिकल्पकी मूल माया हे कम न द्द
भूलतच्वसम्बन्धी विभिन्न सतवाद मंद ** . ८७
आत्मा सर्वाधिष्ठान है ऐसा जाननेवाला दी परमार्थदर्शी है ”* « ९६१
ट्वैतका असत्यत्व वेदान्तवेद्य है श्र ७...
परमार्थ क्या है ? कर सर बुध
अद्देतमाव दी सज्ञलमय है कर न ००
तच्ववेत्ताकी चृष्टिमें नानास्वका अत्यन्ताभाव है न श०१
इस रहस्यके साध्ठी कौन थे ? कक कु
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