मान्डूक्योपनिषद | Maandukyopanishad

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Maandukyopanishad by श्री गौडपादाचार्य - Shri Gaudapadacharya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषय रघ्. ७८ रद रद डदे०. देश, के र. देश. दे, डेप, दे दे ७. दे, दे९, ४०८ ई- ८ रे, प, चघ् ७, टच ९, प्र पट प्र, ण्ड्द * सि, [ * 1] ही पूछ अकार और विश्वका तादात्म्य शक ***. पट उकार और तेजसका तादात्म्य कर न पु मकार और प्राशका तादात्म्य के *** पद माचारभोकी विश्वादिरूपता की ***. पु७ सकारोपासकका पभमाव नरक न्स्न सइ सकारकी व्यस्तोप[सनाके फल कर सन सच अमात्र और आत्माका तादात्म्य शहप *+ छू० समस्त सर व्यस्त ऑकारोपासना दम सन छुप सॉकारार्थज दी मुनि दे कक *न* घूप, चैतथ्यप्रकरण स्वसदृष्ट पदार्थोंका मिथ्यात्व मर ७ जाअदूडडय पदार्थोके मिथ्यात्वमें हेठ . *** न छट स्वममें मनः्कल्पित और इन्द्रियआद्य दोनो ही अकारके पदार्थ मिथ्या हैं ब ०#+ जन नस ७्घू जाम्रतमें भी दोनों प्रकारके पदार्थ मिथ्या हैं *०*.. ७७ इन सिर्ध्या पदार्थीकी कब्पना करनेवाला कौन है ! *०* ७८ इनकी कल्पना करनेवालमा और इनका साक्षी आत्मा ही है. ७९ पदाथेकल्पनाकी विधि ++* न छर, सान्तरिंक और बाह्य दोनों प्रकारके पदार्थ सिथ्या हैं रे. द्ेक आन्तरिक और बाह्य पदार्थोका भेद केवल इत्द्रियजनित है ८्र पदार्थेकर्पनाकी मूल जीवकब्पना है...” . जीवकट्पनाका देव अज्ञान है. कं न ८ द्वा अश्ञाननिद्त्ति ही आस्मज्ञान है हक ++ ८प चिकल्पकी मूल माया हे कम न द्द भूलतच्वसम्बन्धी विभिन्न सतवाद मंद ** . ८७ आत्मा सर्वाधिष्ठान है ऐसा जाननेवाला दी परमार्थदर्शी है ”* « ९६१ ट्वैतका असत्यत्व वेदान्तवेद्य है श्र ७... परमार्थ क्या है ? कर सर बुध अद्देतमाव दी सज्ञलमय है कर न ०० तच्ववेत्ताकी चृष्टिमें नानास्वका अत्यन्ताभाव है न श०१ इस रहस्यके साध्ठी कौन थे ? कक कु




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