धर्म व्याख्या | Dharm Vyakhya
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
170
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नए नगर-घमम
कुछ लोग कहते हैं, कि ऐसे बिलों का विरोध, करके, यदि
कोई मनुष्य उन्हें रुकवा दे; तो उससे तो राजा ,का विरोध होगा
'और राजा के विरुद्ध काम करने की शास््रों में मनाई है ।”
ऐसा कइने वाले शाख्र के ममं को नहीं जानते । शाख में
'एक जगह आया है कि:---
विरुद्ध रजाड़ कम्मे”
नरधाच्--राज्य के विरुद्ध काय न करना 'चाहिए।
शाख्र तो कहता है, कि राज्य के विरुद्ध कार्य न करना
चाहिए और लोगों ने इसका यह अथे॑ लगाया है कि राजा के
विरुद्ध कोई काये न करना चाहिए |
राज्य, देश की सु-व्यवस्था को कहते हैं। उसका विरोध
न करने के लिये जेन-शास्र की आज्ञा है। परन्तु राजा की
'अनीति के विरुद्ध काय॑ करने को जैन-शाख्र कद्दीं नहीं रोकता ।
व्गाज, शराव; गांजा, भज् झादि के प्रचार की ठेकेदार
सरकार दो रही है । यदि सरकार की छावकारी की 'झाय कम
दो और वह एक सरक्यूलर निकाल दे कि “प्रत्येक श्रजाजन
को एक एक ग्लास शराब रोज पीनी चाहिए; ताकि राज्य के
'गरावकारी विभाग की श्राय बढ़ जाय” तो क्या इस झाज्ञा का
'प्रालन शाप लोग करेंगे ?
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