धर्म व्याख्या | Dharm Vyakhya

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Dharm Vyakhya by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नए नगर-घमम कुछ लोग कहते हैं, कि ऐसे बिलों का विरोध, करके, यदि कोई मनुष्य उन्हें रुकवा दे; तो उससे तो राजा ,का विरोध होगा 'और राजा के विरुद्ध काम करने की शास््रों में मनाई है ।” ऐसा कइने वाले शाख्र के ममं को नहीं जानते । शाख में 'एक जगह आया है कि:--- विरुद्ध रजाड़ कम्मे” नरधाच्‌--राज्य के विरुद्ध काय न करना 'चाहिए। शाख्र तो कहता है, कि राज्य के विरुद्ध कार्य न करना चाहिए और लोगों ने इसका यह अथे॑ लगाया है कि राजा के विरुद्ध कोई काये न करना चाहिए | राज्य, देश की सु-व्यवस्था को कहते हैं। उसका विरोध न करने के लिये जेन-शास्र की आज्ञा है। परन्तु राजा की 'अनीति के विरुद्ध काय॑ करने को जैन-शाख्र कद्दीं नहीं रोकता । व्गाज, शराव; गांजा, भज् झादि के प्रचार की ठेकेदार सरकार दो रही है । यदि सरकार की छावकारी की 'झाय कम दो और वह एक सरक्यूलर निकाल दे कि “प्रत्येक श्रजाजन को एक एक ग्लास शराब रोज पीनी चाहिए; ताकि राज्य के 'गरावकारी विभाग की श्राय बढ़ जाय” तो क्या इस झाज्ञा का 'प्रालन शाप लोग करेंगे ? [ ् दीं है -- ड




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