तमाखूसे हानियाँ | Tamakhuse Haniya
श्रेणी : आयुर्वेद / Ayurveda
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
46
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पचनक्रियाका बिगाड़ और झूठी प्यास !
जैसे तमाखूसे झूठी भूख लगती है; वैसे ही झूठी. प्यास भी ७५०
है। यह बात सच है कि भोजन -पचानेके ढिए पानीकी जरू९« .
होती है; परन्तु घड़ी घड़ी प्यासका लगना रोगकी निशानी है | -आरोग
रक्षाके नियमानुसार सादा -भोजन करनेवालोंको घड़ी घड़ी प्यास नहीं
लगती । # घास खानेवाले पु भी घड़ी घड़ी पानी नहीं पीते। १
'सबेरे या शामको एक बार-या कभी कभी दो वार पानी पीते हैं, अन्य!
समय पानी मिठनेपर भी वे नहीं पीते । गरज' यह कि सची प्यास
लूगनेपर पानी पीना और गला 'सूखनेपर वार वार पानी पीना, इन
दोनोंमें बड़ा अन्तर है । पहले रक्षणसे -आरोग्य प्रकट होता है. और
दूसरेसे रोग । तमाखूसे घड़ी घड़ी प्यास लगती है और पानी पीते
रहनेपर भी प्यास वनी ही रहती 'है । विलायतमें इस प्यासकों दूर
करनेके ढिए वहुतसे छोग शराब पीने लगते हैं + और एक नये व्यस-
सनकी तौक़ गढेमें पहिन लेते हैं ।
अणीणाणय
# “ जो वस्तुयें जठरके छिए बहुत ही उपयुक्त होती हैं, जो शरीरके
डिए सबसे अधिक अनुकूल होती हें, उन वस्ठुओंसे अधिक प्यास नहीं
ऊगती। ” --डाक्टर वल्यू०+ ए० आलकॉट।
के तमाखू खाने या पीनेसे थूकुकी अन्धियोँ थूक निकालते निकालते
थक जाती हैं और इसीसे तमाखू. खाने-पीनेके वाद न्नाण्डी, न्दिस्की आदि
शरावोंक़ो गठेके नीचे उतारा जाता है । ”-न्यूयाकेंमें तसाखूके विरुद्ध स्थापित
हुई सभाकी रिपोर्ट । -
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