महापुरुषों के साथ | Mahapurushon Ke Sath

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Mahapurushon Ke Sath  by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मिथ्या प्रतिमाओ का खण्डन कौन करेगा ? उनके रूढ सम्प्रदायवादी उपा- सको की आँखे कौन खोलेगा ? कौन उन्हें समझावेगा कि किसी भी धामिक या ऐहिंक इष्ट देवता को, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यो न हो, यह अधि- कार प्राप्त नही है कि वह अपने बल से अन्य मनुष्यों की आत्मा पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर सके था उन्हे अवज्ञा अथवा घृणा की दृष्टि से देखे ? -रोस्याँ रोलां आवरण मुक्त आत्मा के लिए प्राच्य व पाश्चात्य कोई भेद नहीं है। यह केवल उसके बाह्य आवरण मात्र है । समस्त विश्व ही उसका निवास-स्थान है, और हमे से प्रत्येक मे ही जब आत्मा का निवास है, तब हम सभी उसके समान अधिकारी है । हम उस भावी प्रतिज्ञात भूमि को देखने के लिए जीवित न रह सकेंगे । लेकिन क्या यह पर्याप्त नही है कि हम यह जानते है कि वह प्रतिज्ञात भूमि कहां है और किस मागं द्वारा वहाँ तक पहुँचा जा सकता है। -रोस्यां रोलां




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